हलिमपुर गांव की रहने वाली एक साधारण सी लड़की जिसने अपने गांव में रहकर कुछ अलग ही कर दिखाया– अनु। एक छोटे गांव घर की लड़की, जिसने अपने हौसले से वो कर दिखाया, जो कई लोग सिर्फ सपनों में सोचते हैं।
छप्पर वाले घर से शुरू हुई कहानी
उनके परिवार में केवल उनकी मां और उनका एक छोटा भाई है बड़ी बहन की शादी हो चुकी है और पिताजी का देहांत हो चुका है। परिवार गरीब है ,एक छोटा सा छप्पर का घर, जो बरसात में पानी से भर जाता। जगह से जगह से पानी टपकते रहते थे ,अनु और उसकी का बस भीगे फर्श पर बैठी यह सोचती कि भगवान ने कितने दुख दिए है एक पक्के का जा होता तो आज जगह जगह बाल्टी या पन्नी नहीं लगा रही होती पानी रोकने के लिए कहते कहते अनु की मां रो पड़ी ।
आंखों में एक ही सपना था – *“काश, एक दिन हमारा भी पक्का घर हो।”* प्रधानमंत्री आवास योजना से घर बनाने की मंजूरी मिली तो उम्मीद जगी, लेकिन मंजूरी का मतलब मकान बनना नहीं था। पैसे की कमी ने फिर से मां के सपनों पर ताला लगा दिया। इनसब के बाद अनु ने फैसला किया कि अब वह अपने घर को पूरा करने के लिए कुछ करेगी ।अनु ने ठान लिया – *“मां का सपना अब अधूरा नहीं रहेगा।”*अनु इस सपने को पूरे करने के लिए हर तरह से कोशिश करती रही और अंत में उसे ‘आई सक्षम’ के बारे में पता चला और कार्यक्रम से जुड़कर एडुलीडर का काम शुरू करने का मौका मिला सीखने और सिखाने का मौका मिला ।जो भी स्टाइपेंड मिला, वह उसने बचाया। साथ ही बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया। हर महीने के पैसों में से थोड़ा-थोड़ा जोड़ना आसान नहीं था, लेकिन अनु ने कभी हार नहीं मानी।इतना ही नहीं, घर पूरा करने के लिए उसने बैंक से कर्ज भी लिया। दिन बीतते गए, लेकिन अनु की मेहनत रंग लाई।
ईंट पर ईंट रखी गई, और वो अधूरा घर एक दिन पूरा हो गया।मां की आंखों में चमक और गर्व|
जिस दिन घर तैयार हुआ, मां ने दरवाजे की चौखट पर खड़े होकर घर को देखा। और भावुक होकर वो वही रो पड़ी लेकिन इस बार ये आंसू लाचारी की नहीं थी इस बार उनके अंदर अलग हिम्मत और अलग हौसला था ,खुशी और गर्व के थे। मां के दिल में एक ही बात थी – “मेरी बेटी ने कर दिखाया।आज तक मैं सोचती थी कि हर घर में बेटा नहीं हुआ तो झोपड़ी को महल कौन बनाएगा, पैसे कमाकर ये सुख कौन देगा"
आज तक मकान बेटों ने बनाया है तो मां और साथ हो गांव वालों को यकीन नहीं हो रहा था कि मात्र इतनी कम उम्र में अन्नू ने वो काम किया जो लोग अपनी सोच में भी नहीं लाते है ।"
अनु कहती है अरे हम बेटियों पर भरोसा और विचार रख कर देखिए हम बेटियां वो सब करेगी जो एक बेटा भी कर रहा है ।"सब समान है बस मौका भी समान दो हम कुछ कर जरू दिखाएंगे।आज अनु न सिर्फ अपनी मां का सपना पूरा कर चुकी है, बल्कि पूरे गांव के लिए प्रेरणा बन गई है। उसने साबित कर दिया –
“हालात चाहे जैसे भी हों, अगर हिम्मत है तो कोई सपना अधूरा नहीं रहता।”
(अन्नू कुमारी जमालपुर प्रखंड के हलीमपुर गांव से संबंध रखती हैं।आपने अपनी स्नातक की डिग्री अर्थशास्त्र ऑनर्स में जगजीवन रामश्रमिक महाविश्वविदालय कॉलेज जमालपुर मुंगेर से की है । आपके घर में एक छोटा भाई,एक बड़ी बहन और माता है।माता गृहिणी है।आप i-Saksham में जुड़ने से पहले बच्चों की टयूशन पढ़ाया करते थे।आप सरकारी परीक्षाओं की तैयारी भी कर रहे हैं। अपना मन सदैव से ही समुदाय के लोगों के लिए कुछ करने का करता था।)
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