“अगर आपकी बेटी किसी लड़के से दोस्ती कर ले, तो आप क्या करेंगे?”
यह सवाल मैंने उस दिन स्कूल में लगभग 120 माता-पिताओं से पूछा, जो मेरे बुलाने पर पेरेंट-टीचर मीटिंग (PTM) में आए थे। मेरा नाम भूमिका है और मैं i-Saksham की एक एडू-लीडर हूँ।
हमारे स्कूल में PTM अक्सर खाली ही रहते थे। माता-पिता का न आना बच्चों और शिक्षकों, दोनों के लिए निराशाजनक था। मुझे यह स्थिति बदलनी थी। यह मेरे लिए सिर्फ एक इवेंट आयोजित करने की बात नहीं थी, बल्कि समुदाय को स्कूल से जोड़ने की एक लीडरशिप चुनौती थी।
मैंने PTM से एक दिन पहले कक्षा 1 से 5 तक के हर बच्चे से व्यक्तिगत रूप से बात की और उनसे कहा कि वे अपने माता-पिता को ज़रूर लेकर आएं।
अगले दिन जब मैंने पूरा क्लासरूम खचाखच भरा देखा, तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। लगभग 115 से 120 अभिभावक आए थे! यह मेरी पहली जीत थी। लेकिन मेरा असली मकसद कुछ और था।
जब सभी अभिभावकों ने बच्चों की पढ़ाई पर बात कर ली, तब मैंने वह सवाल पूछा जो मेरे मन में कई दिनों से था—लड़का-लड़की की दोस्ती पर। मैंने देखा था कि गाँव में अगर कोई लड़का-लड़की दोस्त होते, तो उन्हें गलत नज़र से देखा जाता और उनके माता-पिता को ताने दिए जाते। यह सोच बच्चों का आत्मविश्वास तोड़ रही थी।
मैंने उस भरे हुए कमरे में, उन सभी माता-पिताओं के सामने, इस मुद्दे पर बात करने का साहस किया। मैंने उन्हें समझाया कि लड़का-लड़की का भेद करके हम बच्चों से उनका बचपन और एक-दूसरे पर भरोसा करने की भावना छीन रहे हैं। मैंने उनसे अपील की कि वे इस सोच को बदलें ताकि उनके बच्चे बिना किसी डर के एक स्वस्थ समाज में बड़े हो सकें।
उस दिन PTM खत्म होने के बाद मुझे एहसास हुआ कि नेतृत्व सिर्फ भीड़ इकट्ठा करना नहीं है। नेतृत्व वह है जब आप उस भीड़ के सामने एक मुश्किल लेकिन ज़रूरी मुद्दे को उठाने का साहस करते हैं। आज का अनुभव मेरे लिए बहुत खास था, क्योंकि मैंने सिर्फ एक PTM नहीं, बल्कि एक महत्वपूर्ण सामाजिक संवाद की सफल शुरुआत की थी।
लेखिका :
नाम: भूमिका कुमारी
परिचय: भूमिका पक्थोल, नोनपुर, बेगूसराय की रहने वाली हैं और i-Saksham बैच-12 की एक एडू-लीडर हैं।
i-सक्षम से जुड़ाव: भूमिका वर्ष 2025 में i-Saksham से जुड़ी हैं।
लक्ष्य: टीचर बनना चाहती हैं ताकि अपने समाज के बच्चों और उनके परिवारों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सके ।
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