Friday, October 3, 2025

सपनों को चुनने का अधिकार किसका ?

 “क्या मैं अपनी ज़िंदगी का एक फैसला भी खुद नहीं ले सकती?”

कुछ महीने पहले तक यह सवाल शगुफ़्ता दीदी के मन में हर रोज़ उठता था। उनका जीवन घर की चारदीवारी और परिवार की इजाज़त तक ही सीमित था। कहीं बाहर जाने के लिए हमेशा किसी और पर निर्भर रहना, अपनी इच्छा से कुछ न कर पाना—यह उनके लिए सबसे बड़ा बोझ था।

यह स्थिति तब बदली जब वह सक्षम किशोरी कार्यक्रम (i-Saksham) से जुड़ीं। यहाँ उन्होंने अपनी आवाज़ को पहचानना शुरू किया। शुरुआत बहुत छोटी थी, लेकिन उनके लिए यह एक बहुत बड़ा कदम था। बैच 10 के फेयरवेल प्रोग्राम में, उन्होंने पहली बार 20-25 लोगों के सामने अपना नाम बताया। यह उनके लिए सिर्फ एक परिचय नहीं, बल्कि दुनिया के सामने अपनी पहचान पर दावा करने का पहला कदम था।

इसी एक कदम ने उनके अंदर छिपे लीडर को जगा दिया। धीरे-धीरे वही संकोची और झिझकती शगुफ़्ता एक नई पहचान गढ़ने लगीं। उन्होंने 14 साल बाद फिर से पढ़ाई शुरू करने का फैसला किया। यह केवल पढ़ाई की ओर लौटना नहीं था, बल्कि यह उनके जीवन का पहला बड़ा फैसला था, जो उन्होंने खुद अपने लिए लिया था।

यह आसान नहीं था। उन्होंने अपने परिवार को मनाया, अपनी ज़रूरतों को बार-बार समझाया, और यह साबित करने के लिए संघर्ष किया कि उनके सपने भी उतने ही अहम हैं। यह उनकी सबसे बड़ी नेतृत्व-परीक्षा थी, जिसमें वह जीत गईं।

इसका नतीजा आज सबके सामने है। शगुफ़्ता दीदी ने अंग्रेज़ी ऑनर्स से स्नातक में दाख़िला लिया है। कल जब मैंने उनसे बात

की, तो मैंने उनमें एक बदली हुई शख़्सियत देखी—आत्मविश्वास से भरी हुई, अपनी पसंद और फैसले खुद करने वाली। उन्होंने कहा, "पहले मैं अपने लिए समय नहीं निकाल पाती थी, पर आज मैं खुद के बारे में सोच पा रही हूँ और अपनी ज़रूरतों को अहमियत दे रही हूँ।"

शगुफ़्ता दीदी की कहानी दिखाती है कि नेतृत्व किसी पद का नाम नहीं, बल्कि अपने जीवन की बागडोर खुद संभालने का साहस है। आज मुझे उन पर बेहद गर्व है। उन्होंने साबित कर दिया है कि अपने सपनों को चुनने का अधिकार ही असली आज़ादी है।


लेखिका के बारे में:

  • नाम: स्मृति

  • परिचय: स्मृति जिला मुंगेर, जमालपुर की रहने वाली हैं और i-Saksham में 'बडी' की भूमिका में काम कर रही हैं।

  • i-सक्षम से जुड़ाव: स्मृति i-Saksham के बैच-9 की फेलो रह चुकी हैं।

  • लक्ष्य और सपने: वह भविष्य में महिला सशक्तिकरण (Women Empowerment) पर कोर्स करना चाहती हैं और अपनी खुद की एक किताब लिखना चाहती हैं।

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