Friday, October 31, 2025

“क्या सच में यहाँ कोई डाँटेगा नहीं?”

“क्या सच में यहाँ कोई डाँटेगा नहीं?”

यह सवाल मुझे बच्चों की आँखों में तब दिखाई दिया, जब मैं पहली बार धर्मागतपुर के प्राथमिक विद्यालय में अपनी कक्षा में पहुँची। मेरा नाम विद्या रानी है और मैं i-Saksham की एक एडू-लीडर हूँ।

मेरी कक्षा में बच्चे उत्साह से नहीं, बल्कि डर से भरे हुए थे। कोई बच्चा कुछ पूछने की हिम्मत नहीं करता था, और अगर किसी से गलती हो जाती, तो वह चुपचाप सिर झुका लेता। मुझे समझ आ गया कि यहाँ सीखने से पहले, बच्चों के मन से डर निकालना होगा।

यह मेरे लिए एक लीडर के तौर पर सबसे बड़ी चुनौती थी। मैंने तय किया कि मैं इस डर को भरोसे से बदलूँगी। मैंने कक्षा के एक कोने में 'सुरक्षित कोना' बनाया और बच्चों से कहा कि यहाँ वे बिना किसी डर के अपनी कोई भी बात कह सकते हैं।

शुरुआत में किसी ने कुछ नहीं कहा। लेकिन धीरे-धीरे माहौल बदलने लगा। एक दिन एक बच्चे ने डरते-डरते आकर मुझसे कहा, “दीदी, मुझसे गलती से स्कूल की डस्टर टूट गई।” उसके चेहरे पर डर नहीं, बल्कि सच्चाई का भरोसा था।

मैंने उसे डाँटने के बजाय, पूरी क्लास के सामने उसकी पीठ थपथपाई और कहा, “गलती बताना डर नहीं, बहादुरी है।” 

उस एक पल ने सब कुछ बदल दिया। बच्चों को यह विश्वास हो गया कि यह कक्षा एक ऐसी जगह है जहाँ गलतियों पर सज़ा नहीं, बल्कि सीखने का मौका मिलता है। कुछ ही महीनों में कक्षा का माहौल पूरी तरह बदल गया। वे एक-दूसरे की मदद करते, खुलकर अपनी बातें कहते, और गलतियों से सीखते थे।

उस दिन मैंने सीखा कि एक लीडर का सबसे बड़ा काम बच्चों को सही जवाब देना नहीं, बल्कि उन्हें यह भरोसा देना है कि वे बिना डरे सवाल पूछ सकते हैं और गलतियाँ कर सकते हैं।


लेखिका के बारे में:

  • नाम: विद्या रानी

  • परिचय: विद्या गाँव धर्मागतपुर, मुरौल, मुजफ्फरपुर की रहने वाली हैं और i-Saksham में एक एडू-लीडर के रूप में कार्यरत हैं।

  • i-Saksham से जुड़ाव: वह वर्ष 2024 में i-Saksham से जुड़ीं।

  • लक्ष्य: वह भविष्य में बिहार पुलिस में शामिल होना चाहती हैं।

No comments:

Post a Comment