“फोन मिलाओ… मैं खुद जाकर मशीन लाता हूँ।”
यह शब्द स्वीटी के पिता के थे, जो पसीने से भीगे, अपना काम छोड़कर अपनी बेटी की मदद के लिए आगे आए थे। मेरा नाम कोमल है और मैं i-Saksham की एक मेंटर हूँ। उस दिन मैं और मेरी साथी, स्वीटी का सेशन देखने मनशूरचक पहुँचे थे, जो एक छोटी उम्र की, मगर बड़े हौसलों वाली एडू-लीडर है।
समस्या यह थी कि स्वीटी को अपनी गतिविधि के लिए एक वज़न मशीन की ज़रूरत थी, जो आंगनवाड़ी से नहीं मिल पाई थी। सेशन बीच में ही रुक गया था और स्वीटी की आँखों में चिंता साफ़ दिख रही थी।
लेकिन उस दिन की असली चुनौती यह नहीं थी। असली चुनौती यह थी कि स्वीटी की तबीयत ठीक नहीं थी। जब हम पहुँचे, तो उसका चेहरा थका हुआ था। मैंने उसे सत्र रद्द करके आराम करने को कहा, लेकिन उसका जवाब मेरे दिल में उतर गया।
उसने कहा, “दीदी, ये लड़कियाँ मेरा इंतज़ार कर रही थीं। तबीयत ठीक हो या न हो, जिम्मेदारी तो निभानी ही पड़ती है।”
यह एक बीमार लड़की के शब्द नहीं थे; यह एक लीडर का अपने काम के प्रति समर्पण था। उसने अपनी ज़िम्मेदारी को अपनी तकलीफ से ऊपर रखा।
शायद उसके इसी नेतृत्व और समर्पण को उसके पिता ने भी महसूस किया। इसीलिए जब मशीन की समस्या आई, तो वह बिना एक पल सोचे, खुद उसे लाने के लिए दौड़ पड़े। इतना ही नहीं, उसकी माँ भी पड़ोस से बच्चियों को यह कहकर बुलाने लगीं, “आओ बेटा, आज रजिस्ट्रेशन है। यह मौका मत छोड़ना।”
उस दिन का नतीजा सिर्फ चार नए रजिस्ट्रेशन नहीं थे। असली नतीजा यह था कि स्वीटी के नेतृत्व ने उसके अपने परिवार को ही उसकी टीम का हिस्सा बना दिया था। उसके माता-पिता अब सिर्फ एक बेटी का साथ नहीं दे रहे थे, बल्कि एक लीडर के मिशन में उसका हाथ बंटा रहे थे।
उस एक सत्र ने मुझे सिखाया कि हम सब मिलकर एक ऐसा माहौल बना रहे है जहाँ एक लड़की का नेतृत्व, उसके पूरे परिवार को बदलाव का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित कर रहा है।
लेखिका के बारे में:
नाम: कोमल कुमारी
परिचय: कोमल जिला बेगूसराय के सोखारा गाँव की रहने वाली हैं और i-Saksham में मेंटर के रूप में काम कर रही हैं।
i-Saksham से जुड़ाव: मैं 1 मई 2025 को i-Saksham से मेंटर के रूप में जुड़ी।
भविष्य का सपना: मेरा सपना है कि मैं अपने गाँव की महिलाओं के लिए आवाज़ उठा सकूँ और उन्हें उनके अधिकारों और अवसरों के लिए जागरूक कर सकूँ।
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