कहा गया है ना मेहनत करते रहो ज़िन्दगी आज नहीं तो कल तुम्हें मौका ज़रूर देगी, आदिवासी गाँव में रहने वाले बच्चे जिन्हें पढ़ने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं मिलते तथा जिनके पास प्रतिभा है, उन्हें मौका नहीं मिलता, वो ही कुछ कर गुज़रते है।
ऐसा ही कुछ देखने को मिला, मुंगेर और जमुई जिले के कई सरकारी विद्यालयों में, पढने वाले बच्चों में, जिन्होंने जब राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में अपना परचम लहराया तो सरकारी विद्यालय के शिक्षकों सहित गाँव भर में ख़ुशी की लहर दौड़ गई।
पिछले दिनों टिक लिंक स्वयंसेवी संस्था के तरफ से राष्ट्रीय स्तर पर विवेकानंद युवा खोज प्रतियोगिता का शुभ-आरंभ किया गया, जिसका उद्देश्य शिक्षा में मनोरंजन का समावेश है।
इस प्रतियोगिता में देश के 22 राज्यों के 322 सरकारी तथा गैर सरकारी विद्यालयों के 10,500 बच्चों ने भाग लिया, जिसमें मुंगेर तथा जमुई में कार्यरत स्वयं सेवी संस्था i-सक्षम के सहयोग से इन दोनों जिलों के सरकारी विद्यालयों में पढने वाले 28 बच्चों ने भाग लिया।
गौरव की बात यह है कि इसमें से 5 बच्चों को विजेता घोषित किया गया, जिसमे मुंगेर धरहरा प्रखंड के सराधी गाँव के रहने वाले मो. मोकिम के पुत्र, सैफुल्ला और मजदूरी कर अपने जीवन यापन करने वाले मो. आशिक के पुत्र मो. तोसीफ को विजेता घोषित किया गया। इसे कार्य में i-सक्षम की सदस्य तानिया का मार्गदर्शन रहा।
वहीं जबसे यह बात बच्चों के अभिवावकों ने सुनी है तब से वो फूले नहीं समा रहे है। उनका कहना है कि जो भी धन राशी उन्हें प्राप्त होगी, उसे वह बच्चों की शिक्षा में ही लगायेंगें।
वहीं जमुई जिले के जिन बच्चों को विजेता घोषित किया गया है, उनका नाम इस प्रकार है- प्रिंस कुमार, पियूष कुमार, छोटू कुमार, गोलू कुमार, सलोनी कुमारी तथा अंकित कुमार। इन सभी को वित्तीय मदद के साथ-साथ देश के बड़े वैज्ञानिको से मिलने के मौका मिलेगा। इन बच्चों के प्रतिभा का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते है, इन दोनों जिलों के 28 बच्चों ने भाग लिया, जिसमें 20 बच्चों को अच्छे परियोजना कार्य के लिए प्रमाणित किया गया। अन्य पाँच को विजेता घोषित किया गया।
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