जब मैं उषा दीदी के सेंटर पर गई थी तो उषा दीदी अक्षर से जुड़ी गतिविधि करवा रही थी। सभी बच्चे बैठकर गतिविधि कर रहे थे। कक्षा में कुछ ऐसे भी बच्चे थे जो अपने आस-पास के दोस्तों की कॉपी देखकर लिख रहे थे।
मैं कक्षा में बैठकर चुप-चाप बच्चों को देख रही थी। मैंने उन बच्चों को मना नहीं किया कि वह क्यों देख रहे हैं, या उन्हें नहीं देखना चाहिए। बच्चे जब मेरे तरफ देखते थे तो मैं नजर घुमा लेती थी, मेरे दिमाग में चल रहा था कि बच्चे खुद से लिख नहीं पा रहे हैं लेकिन वह देख कर के लिख रहे हैं बच्चे उस वर्ड को दोबारा पढ़ रहे हैं, फिर अपने कॉपी में लिख रहे हैं।
आपको क्या लगता है जो बच्चे आस-पास के लोगों से देखकर लिखते है उन्हें मना करना चाहिए था?
यदि हाँ तो क्यों, यदि ना तो क्यों?
डी-ब्रीफ: मैं आज जब कक्षा में देखी की शिक्षिका अक्षर मैपिंग कर रही है तो वह कुछ बच्चों से पूछ रही थी और कुछ बच्चे अपने स्लेट पर तस्वीर बना रहे थे।
मैने उस समय बस देखा तो मेरे दिमाग में कई तरह के सवाल चले और दीदी के साथ मैं जब इस बिंदु पर बात की तो दीदी ने मुझे कहा कि वो बच्चे छोटे है और मुझे मालूम था की उन सभी की अभी शुरुआत है। इसलिए उन्हें नहीं आता होगा, और यही कारण रहा कि मैंने दीदी से यह बात नहीं पूछी।
आँचल, i-सक्षम संस्था में टीम सदस्य हैंI ये जमुई, बिहार की निवासी हैंI
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