बदलाव की पहली शुरुआत
मीना दीदी ने जबसे इस विद्यालय में पढ़ाना शुरू किया है तब से इनके विद्यालय में काफी चुनौतियां रही हैं। शुरु में तो विद्यालय में पाँच-छ: बच्चे ही आते थे परन्तु अब उपस्थित बच्चों की संख्या 15-20 हो गयी है।
इनके विद्यालय में अभी बच्चे के उपस्थिति
को लेकर समस्याएं हैं और अभिभावक भी जागरूक नहीं है,
जो अभिभावक ठीक-ठाक है वो अपने बच्चे को विद्यालय के समय में ट्यूशन भेज देते है
और मीना दीदी जब अभिभावकों से बच्चों को विद्यालय भेजने के बारे बात करती हैं तो
अभिभावक समझने की बजाय लड़ते-झगड़ते रहते हैं। इसी वजह से और भी समस्याएं इनके
विद्यालय में है जिसपर काम करने की जरुरत है।
मुझे जो सबसे बड़ी कमी लगी वो थी समुदाय
में शिक्षा के प्रति जागरूकता की। बच्चों के अभिभावकों को अब भी यह लगता है कि
विद्यालय में पढ़ाई नहीं होती।
(मीना, बैच-7, प्राथमिक विद्यालय बंगालवा मुसहरी में बच्चों को पढ़ाते हुए)
शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ने की पहल
हमनें “दान-उत्सव” से की। जब मैं विद्यालय पहुँची तो हमेशा की तरह बच्चों की
संख्या बहुत कम थी करीब सात-आठ बच्चे ही आए हुए थें । जब उन बच्चों नें मेरे हाथों
में किताबें देखीं तो उनके चेहरे से एक प्रश्न जैसा दिख रहा था और उनको लग रहा था
कि आज कुछ होने वाला है।
फिर मैंने दो-तीन बच्चों से कहा कि आप
अपने दोस्तों को भी बुला कर लाइए, जो अब तक विद्यालय नहीं आये हैं। कुछ समय बाद
बच्चों की संख्या बीस करीब हो गई। हमनें बच्चों के साथ मिलकर किताबों को सजाया, वकील सर (जो मेरे साथ आये हुए थे) नें मीना दीदी के लाए
हुए शिक्षण गतिविधि सामग्री (टी.एल. एम.) को दीवार पर लगाया।
जब किताबें दीवार पर लग गई तो बच्चे
इधर-उधर नज़र दौड़ा कर अलग-अलग किताबों को गौर से देख रहें थें और मैंने देखा कि कुछ
बच्चे किताबों के बारे में बातचीत भी कर रहे थें। फिर बच्चे व्यवस्थित होकर बैठ गए
और मीना दीदी नें बच्चे को कहानी सुनाना शुरू किया। बच्चे बड़े ध्यान से सुन रहे थे
और उनकी बातों को दोहरा भी रहें थे। कहानी सुनने के बाद एक बच्चे नें एक और कहानी सुनने
की जिद की, उन
सब की नज़र एक पुस्तक पर थी जिसमें कुछ अंधेरा था और गुफाएँ बनी हुई थी । वो बच्चे
जानना चाहते थे कि उसमें क्या हुआ होगा?
बच्चे नें कहा -"दीदी मुझे वो भूत वाली कहानी पसंद है और वो कहानी सुननी है"। मैंने उस पुस्तक को उठाया और मैंने देखा कि वो
वर्ग-पाँच की पुस्तक थी और लंबी कहानी थी। मैंने उस कहानी को सुनाया पर आधा क्योंकि
कहानी बहुत बड़ी थी और उनसे कहा कि आगे की कहानी हम कल सुनेंगे और इसके लिए आप सब
को विद्यालय कल भी आना होगा। सभी बच्चों नें जोर से "हाँ आएंगे" कहा।
फिर मेरा बच्चों के साथ थोड़ा सवाल-जवाब
का सत्र हुआ।
जैसे कि आप को किस तरह की कहानी पसंद है?
बच्चों ने जवाब देना शुरू किया कि हमको
परी वाली, तो दूसरे नें कहा जादू वाली तो तीसरे ने कहा भूत वाली। फिर मैंने ये
पूछा की ऐसी कहानी आपको क्यों पसंद है?
इस सवाल का जवाब कुछ कम बच्चों ने दिया। एक
बच्चा जिसका नाम सौरभ था उसने कहा कि हमको भूत वाली कहानी इसलिए पसंद है क्योंकि
उसमें लोग डरते है।
फिर बच्चों नें भी कुछ कहानियां सुनाई पर
उनको अभी पढ़ना नहीं आता था तो सिर्फ चित्र देखकर अपनी कल्पनाओं से कहानी बना कर
सुनाते गए।
तब तक वकील सर कुछ अभिभावकों को विद्यालय
बुलाकर ले आये और उनसे फिर उनसे बातचीत शुरू हुई। जब हमनें उनसे बातचीत करनी शुरु की
तो बहुत शोर होने लगा। महिलाएं आपस में ही बात करने लगीं। वो हमें बोलने का मौका
ही नहीं दे रहीं थी।
उनके पास बहुत सारी बातें थीं जो वो कहना
चाहती थी,
हम थोड़ी देर शांत रहे, उनकी बातों को सुना। अभिभावकों ने अपनी-अपनी बात रखीं। कभी
विद्यालय के शिक्षकों के बारे में कुछ कहती, तो कभी पढ़ाई के बारे में, तो कभी
साफ-सफाई को लेकर,
तो कभी असमानता की बात करने लगती।
जब सभी अभिभावकों ने अपनी पूरी बात रख ली
तो वकील सर और मैंने अपनी बात कही। उन्होंने मीना दीदी के बारे में बताया, शिक्षा की महत्वता को बताया।
इस दान-उत्सव में हुई बैठक से सभी
अभिभावक मीना दीदी के बारे में जान पाए और उन्होंने कहा कि हम अपने बच्चों को पढ़ने
के लिए विद्यालय भेजेंगे परन्तु बीच-बीच में कक्षा में आकर जायजा लिया करेंगे।
हमारी लिए इससे अच्छी बात क्या हो सकती थी, हमें यह सुनकर काफी अच्छा लगा।
जब विद्यालय के शिक्षक ने जाना कि बच्चे
के अभिभावक आएंगे तो उन्होंने उनके बैठने के लिए दूसरी दरी की व्यवस्था करा दी, वो बैठक में शामिल तो नहीं हो पाये पर उनको दान-उत्सव
काफी अच्छा लगा।
ये पहला प्रयास हमारा काफी अच्छा रहा पर उन अभिभावकों से भी मिलने की कोशिश रहेगी जिनके बच्चे ट्यूशन जाते हैं और वो अपने बच्चे को विद्यालय नहीं भेजते।
तानिया, i-सक्षम संस्था में टीम सदस्य हैंI ये मुंगेर, बिहार की निवासी हैं और ग्रामीण इलाकों में अभिभावकों को शिक्षा के प्रति जागरूक सहज ही कर लेती हैंI
No comments:
Post a Comment