जब मैं गुड़िया दीदी के सेंटर पर गयी थी तो कुछ समय पहले ‘फेलोशिप सत्र में अजीम प्रेमजी फाउंडेशन से जुड़ा एक वीडियो दिखाया गया था, जहाँ पर एक शिक्षिका अपने विद्यालय में किस तरह से बदलाव लायी थी, उसके संघर्षों के बारे में बताया गया था।
उस शिक्षिका ने एक बिंदु रखा था ‘अपने गाँव के बारे में जानना’। इस पहल में उस विद्यालय के बच्चे जब अपनी कक्षा में आते हैं तो अपने गाँव की एक न्यूज़ को लेकर आते हैं और जो बड़े बच्चे होते हैं वह उस न्यूज़ को लिखते हैं। कोई एक बच्चा उस समाचार को सुनाता है। इससे बच्चे के सुनने, जानने व लिखने की क्षमता का विकास होता है।
फेलोशिप के आखिरी दिन मैं अपने सारे एडु-लीडर्स के साथ बैठकर बातचीत कर रही थी। गुड़िया दीदी ने मुझे सुझाया था कि क्यों ना हम भी यह काम अपने कक्षा में करें और गाँव में करें!
हम भी इस तरह से हर रोज बच्चों से कोई एक समाचार मंगवाए और एक बोर्ड बनाकर किनारे में चिपका दें। यदि किसी बच्चे को लिखना आता है तो वह बच्चा बोर्ड पर लिखेगा, बाकी बच्चे इसके बारे में सुनेंगे। साथ ही साथ यह एक नयी गतिविधि भी हो जाएगी तो बच्चों की जिज्ञासा भी बनी रहेगी।
जब मैं गुड़िया दीदी की कक्षा में गयी तो गुड़िया दीदी ने बच्चों को सब्जी से जुड़ी गतिविधि बच्चों के साथ करवा रही थी। मैं कुछ देर रुक और फिर कक्षा के अंत में बैठे बच्चों से वहाँ की कोई एक न्यूज़ के बारे में पूछा। बहुत सारे बच्चों ने कुछ-कुछ बताना शुरू किया।
रजनीश ने अपने गाँव के बारे में बताया। उसी में से एक लक्ष्मी नाम की लड़की थी, जिन्होंने मुझे पूछा कि “हम लोग किस तरह का समाचार ले करके आएंगे तो मैंने बच्चों को कई सारे उदाहरण दिए”। मैं वहाँ पर बच्चों के साथ देख पा रही थी कि बच्चे आपस में चर्चा कर रहे थे कि वह किस दिन कौन-कौन से समाचार लेकर आएंगे।
इस तरह से कक्षा में गतिविधि कराना बच्चों में एक नई सोच को विकसित करता है, जहाँ पर बच्चे अपने गाँव के बारे में सोच पाए। सभी बच्चे जब नए-नए गतिविधि को करते हैं तो उन्हें पढ़ने में और भी जिज्ञासा होती है और वो मन लगाकर पढ़ते हैं।
मुझे लगता है कि कक्षा में इस तरह की गतिविधियों को बढ़ावा देना चाहिए और बच्चों को प्रेरित करते रहना चाहिए ताकि बच्चे कुछ सीख-समझ सकें।
आँचल, i-सक्षम संस्था में टीम सदस्य हैंI ये जमुई, बिहार की निवासी हैंI
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