बिहार के बेगूसराय ज़िले में गंगा नदी के किनारे एक गाँव है, जिसका नाम रचियाही है। यह गाँव पुरबारी टोला में पड़ता है। यहाँ हर साल बाढ़ आती है, जिससे लोग हमेशा परेशान रहते हैं। गाँव तक पहुँचने में भी काफी दिक़्क़त होती है, क्योंकि वहाँ आसानी से गाड़ी नहीं मिलती।
हाल ही में होम विज़िट के दौरान, ज्योति जो i-Saksham की एक edu-leader हैं, उनकी माँ से बातचीत हुई।उन्होंने बताया कि i-Saksham से जुड़ने के बाद ज्योति में बहुत बड़ा बदलाव आया है।
पहले ज्योति अपनी बात किसी के सामने रखने से डरती थी और कभी अकेले बेगूसराय मार्केट भी नहीं जाती थी। जब भी जाती थी तो अपने भाई को साथ लेकर ही जाती थी।
ज्योति की माँ ने कहा कि पहले वह बच्चों को पढ़ाने जाती थी, लेकिन उस समय उसमें उतना आत्मविश्वास नहीं था, जितना अब i-Saksham से जुड़ने के बाद आया है।
जब उनसे पूछा गया कि क्या वे बेटे-बेटी में भेदभाव करती हैं, तो उनकी आँखों में आँसू आ गए और उन्होंने कहा -
“पता नहीं मैं कैसे फर्क करूँ — आज मेरी बेटी ही है जिसकी वजह से घर चल रहा है।”
ज्योति की पाँच बहनें और एक छोटा भाई है, जो अभी बारहवीं कक्षा में पढ़ रहा है। उनके पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं और माँ भी अक्सर बीमार रहती हैं। ऐसे में ज्योति ही पूरे घर की जिम्मेदारी संभाल रही है। आसपास के लोग कई बार कहते हैं — “इसकी शादी कर दो”,
लेकिन ज्योति की माँ हर बार साफ़ जवाब देती हैं —
“मेरी बेटी जब तक अपने पैरों पर पूरी तरह खड़ी नहीं हो जाती, मैं इसकी शादी नहीं करूँगी।”
यह सुनकर हर कोई हैरान हो जाता है, लेकिन माँ-बेटी दोनों ने मिलकर एक ठान लिया है — पहले शिक्षा, फिर आत्मनिर्भरता।
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