मैं आज अपनी कम्युनिटी में खुली लाइब्रेरी के उपयोग और आंगनवाडी में हुई अभिभावक शिक्षक बैठक (PTM) के बारे में अपना अनुभव साझा करना चाहती हूँ। मैंने और चाँदनी ने लाइब्रेरी पहुंचकर पुस्तकों का रखरखाव किया और सफाई की। हम एक-एक पुस्तक लेकर पढ़ने बैठे ही थे कि वहाँ कुछ बच्चे आ गए।
किसी ने पुस्तक पढ़ने के लिए उठायी तो कोई बच्चा TLM (Teaching Learning Material) और 3D चार्ट-पेपर्स का बारीकी से अवलोकन करने लगा।
जिन्होंने पुस्तक उठायी थी वो बच्चे बहुत जोर-जोर से पढ़ रहे थे। एक पुस्तक से दो-तीन बच्चे पढेंगें तो एक-दूसरे को समझाने के उद्देश्य से तेज आवाज में ही पढ़ना पड़ेगा। मैंने उन्हें लाइब्रेरी में धीरे क्यों पढ़ना चाहिए इस बारे में समझाया तो सभी बच्चे मान गए। और धीरे-धीरे या मन में अपनी पुस्तकों को पढ़ने में लीन हो गए।
मुझे शिक्षक अभिभावक बैठक (PTM) भी करनी थी तो मैं कम्युनिटी में गयी और सभी अभिभावकों को आंगनवाडी में आमंत्रित किया। 11 अभिभावक PTM में शामिल हुए। मैंने सभी का धन्यवाद किया और फिर उनके बच्चों की प्रोग्रेस (progress) के बारे में प्रश्नोत्तर किये। मैं उनसे समझना चाह रही थी कि वो अपने बच्चे के बारे में कितना जानते हैं?
सभी ने अपनी समझ अनुसार जवाब दिए। एक अभिभावक बोले कि मेरा बच्चा अभी कुछ नहीं जानता है। मैंने उनसे यह बोलने का कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि मेरे बच्चे का नाम स्कूल ने काट दिया है इसलिए वो स्कूल नहीं जाता है और उसे कुछ आता भी नहीं है।
मैंने उनसे कन्फर्म (confirm) किया कि आपके बच्चे का नामांकन तो कराया हुआ है ना आपने? उन्होंने कहा, हाँ। मैंने उन्हें समझया कि ऐसे ही स्कूल के शिक्षक किसी भी बच्चे का नाम नहीं काटते हैं। आप उसे फिर से स्कूल भेजिएगा तो वापस रजिस्टर में उसका नाम चढ़ जाएगा। मैंने उन्हें अपनी परेशानी साझा करने के लिए धन्यवाद दिया।
फिर मैंने आज के सबसे अहम उद्देश्य- असर टेस्ट के बारे में अभिभावकों को शिक्षित किया। उनकी समझ ठीक बने मैंने इसके लिए दो बच्चों को हिंदी विषय में अक्षर, शब्द और कहानी पढ़ने के लिए कहा।
फिर बच्चों की पढ़ने की क्षमता के अनुसार अभिभावकों ने बच्चों की प्रोग्रेस जांची। उन्हें समझ आ रहा था कि एक बच्चा अक्षर पढ़ पा रहा है और एक ने कहानी को पूरा पढ़ लिया। मैंने उन्हें बताया कि बस इसी तरह से एक स्तर के बच्चों का हम एक साथ ग्रुप बनाते हैं और उन्हें पढ़ाते हैं। अभिभावकों को मेरी बात समझ आयी और अंत में बच्चों ने कागज की नाव बनाकर भी दिखाई। इस तरह मेरी आज की PTM और लाइब्रेरी के उपयोग का उद्देश्य सफल रहा।
फरहत प्रवीन
बैच-10, मुंगेर
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