Wednesday, June 26, 2024

इस बार की PTM के विषय थे- गर्मी, लू और पौष्टिक आहार

प्रिय साथियों, मैं आपके साथ लोहार गाँव में मई माह में हुई शिक्षक अभिभावक मीटिंग (PTM) का अपना अनुभव साझा करना चाहती हूँ। यह PTM मेरे लिए इसलिए अलग थी क्योंकि यह मेरे द्वारा अकेले लीड (lead) की गयी पहली PTM थी। 

हुआ यह था कि मेरे विद्यालय के प्रधानाध्यापक इस मीटिंग में मेरा साथ देने के लिए एक शिक्षक को जिम्मेदारी सौंपने वाले थे। परन्तु किन्ही कारणों की वजह से मीटिंग लीड (lead) करने के लिए कोई शिक्षक नहीं आ पाये। मैंने अकेले ही यह मीटिंग लीड की और मैं इस PTM के उद्देश्यों को सुचारू रूप से अभिभावकों को समझा पायी। यह मीटिंग लंच के बाद हुई थी। वैसे तो हर बार 10-12 ही अभिभावक उपस्थित होते थे। परन्तु इस बार की PTM में 22 अभिभावक शामिल हुए। 


यह मेरे लिए अच्छी बात भी थी लेकिन मैं थोड़ा डर भी रही थी। यह काम मुझे मुश्किल भी लग रहा था। 


मैंने एक गतिविधि से PTM की शुरुआत करवाई। गतिविधि इस प्रकार थी कि सभी अभिभावकों को दो मिनट के लिए अपनी आँखें बंद करके अपने बचपन की खट्टी-मीठी यादों को एकत्रित करके एक चार्ट-पेपर पर ड्रा (draw) करना या लिखना था। 

सभी अभिभावकों ने इस गतिविधि में भाग लिया और अपनी यादें भी साझा की। उन्होंने यह भी बताया कि इस गतिविधि को करके उनकी यादें ताज़ा हो गयीं और उन्हें फिर से पुराने दिन याद आ गए। उन्हें बहुत अच्छा लगा और मुझे भी उनकी बातें सुनकर बहुत ख़ुशी महसूस हुई। यही तो उद्देश्य था इस गतिविधि का- कि सभी लोग अपने बचपन में जाकर कुछ साझा करें और बाकी लोग उनसे कनेक्ट (connect) कर पायें।अब बारी थी PTM के अहम लक्ष्य पर बात करनी की। इस बार मुझे अभिभावकों के साथ गर्मी और लू से बचाव, पौष्टिक आहार एवं साफ़-सफाई सम्बंधित बातों पर अभिभावकों की राय जाननी थी और उन्हें शिक्षित भी करना था। 



मैंने जितना सोचा था मुझे उतनी मेहनत नहीं करनी पड़ी। सभी अभिभावकों को पौष्टिक आहार के बारे में बहुत अच्छी समझ थी। मैंने बच्चों को मौसमी फल देने के बारे में भी कहा। 

कुछ बच्चे स्कूल आने से पहले कुछ खाते नहीं हैं और स्कूल में मिड-डे-मील का भोजन दोपहर बाद ही मिलता है तो इस कारण उनके लिए गर्मी और लू का शिकार होने की संभावनाएँ ज्यादा बढ़ जाती हैं।


अभिभावक इस बात को समझ रहे थे, परन्तु उनकी अपनी समस्याएँ हैं। जैसे: स्कूल का समय जल्दी होना, बच्चो का अपने माता-पिता का कहना ना मानना और बच्चों को भी इस बारे में शिक्षा का आभाव होना। 


इसके बाद मैंने साफ़-सफाई पर बात की और अभिभावकों की ओर से आ रही बातों को भी एक जगह लिखकर रखा। मैं उन सभी मुद्दों पर बच्चों से भी बात करूँगी। 


इस तरह इस बार की PTM बहुत अच्छे तरीके से संपन्न हुई। मैंने अभिभावकों को समय देने और अपनी आवश्यक राय देने के लिए धन्यवाद भी किया।


मुझे सीखने को भी मिला और यह भी पता चला कि मैं अकेले ही 20-25 अभिभावकों की उपस्थिति वाली PTM को लीड कर सकती हूँ। मेरा मनोबल बढ़ा और PTM के अंत तक मुझे खुद पर गर्व भी हो रहा था। 


अंजली 

बैच- 9, जमुई


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