प्रिय साथियों, मैं, प्रितिमाला, सुजाता और प्रियांजली मोबिलाइजेशन (mobilization) के लिए गया ज़िले के कोलसर गाँव गए थे। यह गाँव NH-2 से लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जब हम गाँव में प्रवेश कर रहे थे तो हमने देखा कि रास्ते में बहुत सारे पेड़-पौधे व्यवस्थित ढंग से लगे हैं। गाँव का वातावरण काफी शांत दिखा।
गाँव के शुरू में ही एक छोटा सा विद्यालय (प्राथमिक विद्यालय कोलसर) दिखा तो हमने प्रधानाध्यापक, श्री शशि कुमार से मिलकर बात करने के बारे में सोचा। हम विद्यालय में गए और प्रधानाध्यापक को अपना और अपनी संस्था का परिचय दिया। उन्होंने हमें बताया कि इस गाँव में कुल आठ-दस घर ही हैं और इन घरों में एक भी पढ़ी-लिखी लड़की या महिला नहीं है। जो आपकी फ़ेलोशिप से जुड़कर कुछ सीख-समझ सके।
प्रधानाध्यापक ने यह भी बताया कि विद्यालय में मात्र 25 बच्चों का नामांकन है। जिसमें से पाँच बच्चे तो विद्यालय ही नहीं आते।
हमने स्वयं भी देखा कि आज विद्यालय में 12-15 बच्चे ही उपस्थित थे। विद्यालय में एक ही कक्ष था। उसी में बच्चे बैठे थे और पास ही में खाना भी बन रहा था। यह देखना मेरे लिए बहुत आश्चर्यजनक था।
प्रधानाध्यापक सर ने अलमारी से हमारे नाश्ते के लिए बिस्कुट निकाले। हमने आदर स्वरूप कुछ खाए और हम गाँव की ओर चल दिए।
विद्यालय के आसपास कोई दुकान नहीं दिखी। जो अकसर विद्यालयों के पास होती ही है। गाँव में घूमते हुए हमें एक महिला मिली जिन्होंने बताया कि उन्होंने दसवीं की परीक्षा दी हुई है। परन्तु उनके दो छोटे-छोटे बच्चे हैं इसलिए वो फेल्लोशिप में तो नहीं जुड़ पाएंगीं। यह सुनकर हम लोग आगे बढ़ गए।
पास में ही एक और गाँव था। जिसका नाम पिंडरी था। उस गाँव में हमें कुछ दसवीं और ग्यारहवीं पास लड़कियाँ मिली। तो हम तीनों ने उसी गाँव से कोलसर के लिए एडु-लीडर्स का एग्जाम लिया। सभी लड़कियाँ एग्जाम देकर काफी खुश दिख रहीं थीं। हम भी अपना यह काम करके वापस घर आये।
प्रितिमाला कुमारी
गया, इंटर्न
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