पिछले महीने हमारे क्लस्टर ने अपना लक्ष्य बच्चों को स्कूल में गुड टच और बेड टच के बारे में शिक्षित करना रखा था।
यह कार्य हमें गर्मी की छुट्टियों से पहले पूरा करना था ताकि बच्चे छुट्टियों में इधर-उधर घूमने जायें तो सतर्क रह सकें।
अपनी कक्षा में मैंने कैसे इसे करवाया यही मैं इस लेख के माध्यम से बताना चाहती हूँ। तो कल मैंने जब कक्षा में पहुँची ‘मैंने बच्चों को’ और ‘बच्चों ने मुझे’ ग्रीट (greet) किया। मैंने बच्चों की क्यूरोसिटी (curiosity) जगाने के लिए प्रश्न किया कि पता है आज हम सभी क्या सीखेंगे?
बच्चों से अपनी तरफ से अलग-अलग उत्तर दिए। जैसे- हिंदी, इंग्लिश, गणित और ड्राइंग। हमने उन्हें आज के टॉपिक के बारे में बताया कि आज हम गुड टच और बेड टच सीखेंगे।
सभी बच्चों के लिए ये नया टॉपिक था। मैंने जैसे ही सिखाना शुरू किया वैसे ही क्लास टीचर आकर खड़े हो गए। मुझे थोड़ी घबराहट तो हुई पर मैंने सोचा कि मैं अपना सिखाना ज़ारी रखती हूँ। मैंने ऐसा ही किया और इतने में ही सर अपनी कुर्सी लेकर वहीं बैठ गए।
मुझे और बच्चों को हिचकिचाहट तो हो रही थी पर हम आगे बढ़ते रहे। मैंने एक लड़की को आगे बुलाया और उसे डेंजर ज़ोन (danger zone), ओके ज़ोन और गुड ज़ोन (good zone) जैसे शब्दों की मदद से कुछ एक्शन सिखाये। जैसे “ना कहने” के लिए ‘हाथों को जोर से झटककर’ ना कहना सिखाया।
यह सब सर भी देख रहे थे। यह देखकर सर बोले कि सभी बच्चे ध्यान से देखिये, सीखिए कि दीदी क्या सिखा रहीं हैं? यह आप लोगो के लिए बहुत काम का विषय होगा। सर ने मेरी सराहना भी की।
पहली बार बच्चों को समझ नहीं आया तो एक बार और समझाया और अच्छी तरह से समझाने के लिए तीन बार समझाना पड़ा।
फिर धीरे-धीरे मेरी कक्षा के सभी बच्चों को यह टॉपिक समझ आ गया। सर के कहने पर मैंने अन्य तीन कक्षाओं की लड़कियों को भी यह टॉपिक अच्छे से समझा दिया। इस तरह मेरे क्लस्टर का यह गोल पूरा हुआ। मुझे भी इस कार्य को करके बहुत ख़ुशी हुई।
चन्दा
बैच-10, जमुई
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