Wednesday, June 26, 2024

आप जो सोचोगे वो सच हो जाएगा

क्या कभी ऐसा हुआ है कि आपने किसी चीज को इमेजिन किया हो और वह सच हो गई हो?

तो फिर चलिए अनन्या की तरफ से उसकी लाइफ की एक इमेजिनेशन स्टोरी को पढ़ते हैं।


जब मैंने 2022 में i-सक्षम जॉइन किया था तब हम सभी को ट्रेनिंग के दौरान YouTube पर वीडियो दिखाई जाती था। जो वीडियो i-सक्षम के टीम मेंबर के द्वारा बनाया गया था। मैं जब भी वीडियो देखती थी तो मुझे उससे बहुत कुछ सीखने को मिलता था। 


एक दिन मैं जब ऑफिस से ट्रेनिंग अटेंड करके घर वापस आयी तो मैंने अपने फोन में i-सक्षम चैनल को YouTube पर सर्च किया। एक दिन में लगभग 10 वीडियो देख डाली। मैंने अपने पापा को भी दिखाया। मुझे हर वीडियो में कुछ ना कुछ सीखने को मिलता था। मैंने तभी इमेजिन किया था कि काश मेरी भी वीडियो i-सक्षम के चैनल पर होती!

मैं भी किसी टॉपिक पर पुरानी एडु-लीडर्स की तरह वीडियो बनाती। मैंने कुछ दिन सोचा फिर मैं इस बारे में भूल गयी। 



जिस दिन हमारा सेशन था उस दिन अमन भैया ग्रुप ने ग्रुप में एक मैसेज भेजा था। वह था कि “हमारे गांव में लोग पहले लड़कियों की महत्वाकांक्षाओं को उतनी अहमियत नहीं दिया करते थे, पर अब धीरे-धीरे एक बदलाव हो रहा है”। इस लाइन को साईकिल चलाते हुए बोलना है। उनका एक वीडियो शूट होगा। 


मैंने मैसेज देखा और सबसे पहले रिप्लाई किया कि मैं कर सकती हूँ। फिर और भी एडु-लीडर्स ने रिप्लाई किया। अमन भैया बोले आप सभी पहले इस लाइन को मनीष भैया (in-house designer & photographer) के पास बोलिए वो आप सभी में से किसी एक को सेलेक्ट कर लेंगे। 


सेशन खत्म होने के बाद हम चार-पाँच एडु-लीडर्स मनीष भैया को यह लाइन सुनायें, हमने अपना ऑडिशन दिया। फिर उन्होंने एक कॉपी में हमारे नाम और नंबर्स लिख लिए। उन्होंने बोला कि इस शूट को करने के लिए बाहर से विडियोग्राफर्स आ रहे हैं तो आप सभी में से जिनका नाम सेलेक्ट होगा हम कल उनके गाँव आयेंगें। इस बारे में इनफार्मेशन आपको आज शाम तक दे दी जाएगी। 


पता नहीं क्यों मुझे इंट्यूशन था कि यह शूट मेरे साथ नहीं होगा। शाम को मुझे मनीष भैया का कॉल आया। उन्होंने बोला कि आप कल प्रातः सात बजे तक रेडी रहिएगा। हम सभी लोग शूट करने के लिए आपके गांव (सोनपे) आएंगे। 

उनकी बात सुनकर मुझे थोड़ा आश्चर्य भी हुआ और इतनी खुश भी हुई कि मैं यहाँ शब्दों में बयाँ नहीं कर सकती! क्या ही बताऊं! 

मैंने उन्हें उत्तर दिया, “ठीक है भैया मैं तैयार रहूंगी”। और फ़ोन रख दिया। 


पहला दिन: 

4 अप्रैल को मनीष भैया, अमन भैया, गोल्डन भैया और दिल्ली से आए हुए विडियोग्राफर्स क्षितिज भैया और अभिषेक भैया मेरे घर प्रातः साढ़े सात बजे पहुँच गए। मेरे पापा से सभी लोग मिले और सभी ने अपना परिचय दिया।


साईकिल वाले सीन की शूटिंग और ट्विस्ट: 

मुझे पता नहीं था कि i-संस्था पर एक शोर्ट फिल्म बनने जा रही है। जिसमें यह दिखाया जाएगा कि i-सक्षम किस तरह से काम करती हैं। तो मेरी जो एक साईकिल वाले सीन (scene) की शूटिंग होने वाली थी अब उसकी जगह एडु-लीडर के सम्पूर्ण रोल (role) की शूटिंग होगी। जैसे: बच्चों के साथ कक्षा में जुड़ना, शिक्षक अभिभावक मीटिंग, समुदाय में जाकर अभिभावकों से बातचीत, क्लस्टर मीटिंग, ट्रेनिंग और एक मेरा साक्षात्कार होना था।

  

यह सुनकर मैं थोड़ा घबरा गयी थी कि पता नहीं कैसे होगा? 

मैं कर भी पाऊंगी या नहीं? 

फिर हुआ यूं कि उन्होंने पहली शूटिंग करने की जगह सिलेक्ट की और मेरी पहली शूटिंग बहुत अच्छे से साईकिल चला कर जाने वाली हुई। 


स्कूल में शूटिंग: 


अब स्कूल में शूटिंग होने बारी थी तो इस कारण हम सभी लोग स्कूल गए। मैंने प्रिंसिपल सर से i-सक्षम की टीम से परिचय करवाया और शूटिंग के बारे में उन्हें जानकारी दी। 

प्रिंसिपल सर ने बड़े प्यार से कहा कि आप हो और i-सक्षम है तो कोई दिक्कत ही नहीं है। जो भी शूटिंग करनी है आप कीजिए। 

प्रिंसिपल सर बहुत अच्छे हैं। उनकी यह बात सुनकर मुझे बहुत खुशी हुई। मेरा मनोबल भी बढ़ा। 


स्कूल में बच्चों के साथ मेरी शूटिंग हुई, कुछ फ्रेम्स लिये गए। 

फिर सभी ने एक घंटे का ब्रेक लिया। सभी भैया जमुई चले गए और मैं अपने घर आ गई। ठीक 1 घंटे के बाद हम सभी स्कूल में मिले। उन्होंने बताया कि अभी हम कलस्टर मीटिंग की शूटिंग करेंगे। 


क्लस्टर मीटिंग का शूट: 

मैंने अपने गाँव में क्लस्टर मीटिंग के लिए विडियोग्राफर्स को कुछ जगहें दिखायीं। जिनमें से एक जगह को सेलेक्ट किया गया। मैंने अपनी बडी और गाँव के आसपास जो क्लस्टर मेम्बर्स थे उन्हें सुबह ही इस शूटिंग के बारे में और समय के बारे में इन्फॉर्म कर दिया था।


सभी लोग (विपिन सर, सोनम दीदी और मेरी बडी ज्योति दीदी) समयानुसार दो बजे दोपहर को सोनपे गाँव आ गए थे। सभी का परिचय शूटिंग टीम से हुआ और हम अपने क्लस्टर मीटिंग के लिए चुने गए स्थान पर गए। 

हमने क्लस्टर मीटिंग में गाँव की महिलाओं को भी बुलाया। और हमारी क्लस्टर मीटिंग वाली शूटिंग भी प्लान के अनुसार पूरी हुई। 


मैं बता नहीं सकती कि क्लस्टर मीटिंग की शूटिंग के दौरान हम सभी लोग इतना हंसे-इतना हंसे कि किसी के पेट दर्द होने लगा। तो किसी की आंखों से आंसू निकल आए। 

हम सभी ने उस शूटिंग को बहुत ही ज्यादा इंजॉय किया।


कलस्टर मीटिंग के शूटिंग के बाद एक फ्रेम गांव में बच्चों के साथ लिया गया। शाम भी हो चुकी थी। आज को शूटिंग को यहीं रोका गया। अगले दिन सुबह साढ़े छ: बजे मिलने का प्लान बनाया गया।


दूसरा दिन: 


दूसरे दिन की शूटिंग की शुरुआत मेरे साक्षात्कार (interview) से हुई। ठीक साढ़े छ: बजे क्षितिज भैया, अभिषेक भैया, मनीष भैया सभी लोग अमन भैया के घर के पास आ गए। मैं भी पहुंची। 

अब फिर से मुझे 2022 में इमेजिन की हुई बातें याद आ रही थी। मैं कैसे सोच रही थी कि काश मेरा भी ऐसा वीडियो होता और आज वो बातें सच होने जा रही हैं। 


साक्षात्कार से बढ़ा मनोबल: 

वैसे तो साक्षात्कार के दौरान मुझसे जो भी सवाल पूछे जाते मैंने उसकी प्रैक्टिस की थी। क्योंकि मनीष भैया ने मुझे एक दिन पहले सवाल भेज दिए थे और मिरर में प्रैक्टिस करने की सलाह भी दी थी। 

लेकिन फिर भी मुझे बहुत ज्यादा डर लग रहा था, मैं बहुत ज्यादा नर्वस (nervous) थी। 


क्षितिज भैया मुझसे पूछ भी रहे थे कि आप इतनी नर्वस क्यों हो? 

मैंने उन्हें बताया कि मैंने कभी कैमरा फेस नहीं किया है तो मुझे इसलिए डर लग रहा है। उन्होंने मुझे कुछ टिप्स और ट्रिक्स दिए और बाकी लोगो को वहां से थोडा दूर जाने के कहा तो मैं थोड़ा सहज हुई।


टिप्स ये थी कि कैमरे को देखना ही नहीं है। जो मुझसे सवाल कर रहा है उन्हें ही देखकर उत्तर देना है। ये काम मुझे कैमरे में देखने की तुलना में आसान लगा। 

परन्तु आसान यह भी नहीं था! 


मेरे लिए उनसे ऑय-कांटेक्ट (eye-contact) करना बहुत मुश्किल हो रहा था। मैं इतनी नर्वस थी कि मुझे हंसी आ रही थी। मुझे देखकर दोनों भैया भी हंस रहे थे। फिर उन्होंने मुझे हिम्मत दी और साक्षात्कार शुरू हुआ।


साक्षात्कार जब ख़त्म हुआ तो मुझे लगा ही नहीं कि ये पूरा हो गया है। या मैं किसी नये व्यक्ति के साथ बैठी हूँ। यह शूट होने के बाद मेरा आत्मविश्वास और बढ़ा।


PTM, अन्य फ्रेम और शूटिंग्स: 

अब हम स्कूल चले आए। स्कूल के फील्ड में मेरे एक फ्रेम की शूटिंग हुई। फिर कम्युनिटी में जाकर बच्चों के घर में शूटिंग हुई।

फिर स्कूल में PTM की शूटिंग हुई। अब हमें जमुई आना था क्योंकि हमारी ट्रेनिंग की शूटिंग बची थी। 


हम सभी जमुई पहुंचे और ट्रेनिंग की शूटिंग पूरी की। फिर ऑफिस में टीम मेम्बर्स के साथ शूटिंग हुई। आखिरकार सारी शूटिंग समय पर समाप्त हुई। 


जुड़ाव और अलगाव:

फिर क्षितिज भैया और अभिषेक भैया सबसे मिलकर पटना के लिए निकले। वहाँ से उनकी दिल्ली के लिए फ्लाइट थी। 

मेरे लिए क्षितिज भैया और अभिषेक भैया दोनों अजनबी थे। लेकिन इन दो दिनों की शूटिंग के दौरान उनसे इतना जुड़ाव बन गया कि मुझे लगने लगा कि जैसे कोई अपना हो।

 

मैं जब भी शूटिंग के दौरान थक जाती तो सारे भैया लोग मुझे कभी खाने के लिए पूछते, तो कभी पानी के लिए पूछते। 

जब भी नर्वस हो जाती तो भैया मुझे कभी हंसाते, तो कभी मोटिवेट करते कि आप अच्छा कर रहे हो।

बहुत बढ़िया कर रहे हो, प्राउड ऑफ़ यू अनन्या। 

हर तरह से मोटिवेट करते रहे। 


मेरा इतना ध्यान रखा कि मुझे लगा ही नहीं कि मैं दो अजनबी लोगों के साथ हूँ। मेरे इस शूटिंग में मनीष भैया ने मेरी बहुत मदद की।

अब मुझे बेसब्री से इंतजार है कि कब मूवी बनकर आएगी और मैं उसे कब देखूंगी! 

अनन्या 

बैच-9, जमुई


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