मैं आपके साथ दो वर्ष की फ़ेलोशिप करने के उपरान्त मेरे अन्दर आये हुए एक बहुत बड़े बदलाव के बारे में बताना चाह रही हूँ। इस फ़ेलोशिप के दौरान और बाद तक भी मेरे अन्दर बहुत से बदलाव आयें हैं और आगे भी आयेंगें।
हम सबके जीवन में बदलाव के कई मायने हैं। हर एक बदलाव के पीछे एक कहानी, यात्रा, कोई सुख, बड़ा दुःख या सोच हो सकती है।
मैं दो वर्ष पूर्व ये स्मृति नहीं थी जिसे आज आप देख रहें हैं। मेरी सोच “मदद” शब्द और इसके अर्थ को लेकर बहुत बार बनी और बिगड़ी है। ऐसा नहीं है कि मैं मदद को अच्छी तरह समझ गयी हूँ। परन्तु यह कह सकते हैं कि इस शब्द को मैंने बहुत टटोला है और कम-कम-कम मैं आज स्वयं के लिए इसका अर्थ जानती हूँ।
मैंने समझा कि मुझे लोगो कि किस प्रकार मदद करनी है और मैं लोगो से किस प्रकार मदद माँग सकती हूँ। जबकि पहले मैं इन दोनों ही बातों से अपरिचित थी।
मदद के कई प्रकार हो सकते हैं। जैसे: किसी की बात या परेशानियों को ध्यानपूर्वक सुनना, किसी के साथ जरुरत पड़ने पर समय बिता लेना, जब आपको पता हो कि सामने वाला हमारी मदद कर सकता है तो मदद मांग लेना, किसी परेशानी को मिलकर, बात करके हल करना, किसी के दुःख की घड़ी में उनके साथ रहना आदि।
“मदद” एक बहुत ही पावरफुल (powerful) और मीनिंगफुल (meaningful) शब्द है या कह सकते हैं कि टूल (tool) है। मैं इसके अर्थ को भलीभांति समझने के लिए प्रयासरत हूँ और फ़ेलोशिप के बाद मैं मदद करने और मदद माँगने का सही मायनों में अर्थ समझ पायी हूँ। जिसका मैं आगे भी अपने जीवन में उपयोग करती रहूंगी।
स्मृति
बैच- 9, मुंगेर
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