Wednesday, June 26, 2024

गर्मी की छुट्टियों में चला- मिशन दक्ष

मैं आप सभी के साथ अपने स्कूल में गर्मी की छुट्टियों में लगे कैंप ‘विशेष दक्ष कक्षा’ का अनुभव साझा करने जा रही हूँ। इसमें वैसे बच्चों को पढ़ाते हैं जिनकी किसी कारणवश पढ़ाई छूट गयी है या कक्षा में पीछे रह गये हैं। 

ऐसे बच्चों के बारे में आसपास की कम्यूनिटी में पता करना होता है। मैंने एक दिन अपनी बडी के साथ कम्यूनिटी जाकर 14 स्टूडेंट ढूँढे और उन्हे स्कूल में पढ़ने के लिए बुलाया। 


पहले एक-दो दिन तो बच्चे पढ़ने के लिए स्कूल में आये। लेकिन उसके बाद बच्चे स्कूल नहीं आना चाहते थे।  खासकर ऐसे बच्चे जो पहले कभी स्कूल नहीं आये थे, उन्हें बहुत हिचकिचाहट होती है। इसके कई कारण हो सकते थे। 

  • पहला यह कि उनकी उम्र उस कक्षा के बच्चों की उम्र की तुलना में कहीं अधिक थी।

  • दूसरा यह कि पढ़ाई रेगुलर ना होने के कारण इन बच्चों को कुछ कॉन्सेप्ट्स (concepts) को समझने में थोड़ी देर लगती थी।

मैं जब भी इनके स्कूल ना आने पर इन्हें बुलाने घर आती तो वो लोग मुझे देखकर कहीं छिप जाते, या खेलने चले जाते या घर में ही सो जाते। मैं बहुत समझाकर, फुसलाकर उन्हें स्कूल लेकर आती।


कभी-कभी इन बच्चों के अभिभावक भी इन्हें समझाते थे कि दीदी तुम्हारे लिए कितना करती है कि कुछ पढ़-लिख लोगे तो भविष्य में बड़े आदमी बनोगे। 


बिलकुल दीदी की बात नहीं मानते हो! 


मुझे उनकी बातें सुनकर अच्छा लगता था और ऐसे ही करते-करते कुछ दिन बीत गए। फिर सभी बच्चे समय से विद्यालय आने लगे। सबसे बढ़िया बात यह थी कि इन्ही बच्चों के असर (ASER) के एण्ड लाईन (Endline) का रिजल्ट उनके बेस लाईन (Baseline) से बहुत अच्छा आया।


जो इस प्रकार थासात स्टूडेंट प्रारम्भिक स्तर से अक्षर स्तर, पाँच स्टूडेंट अक्षर स्तर से शब्द स्तर और तीन स्टूडेंट अक्षर स्तर से अक्षर स्तर पर गए। इसी के साथ हमारे स्कूल के ‘मिशन दक्ष’ का उद्देश्य पूरा हुआ। 


नेहा

बैच- 10, बेगूसराय


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