हिम्मत के साथ नई शुरुआत : रूचि
आज हम सुनते हैं एक ऐसी निडर लड़की की कहानी, जिसकी जिंदगी संघर्ष और साहस की मिसाल बन गई। यह कहानी है रूचि की, एक ऐसी लड़की जिसकी उम्र केवल 17 साल है। कल्पना कीजिये की आपकी माँ अब इस दुनिया में नहीं हैं, पिता जी घर से दूर रहते हैं, और आप अकेले एक परिवार की पूरी ज़िम्मेदारी उठाने को मजबूर हैं।
रूचि, मुंगेर बैच-10 की एडू लीडर, ने कम उम्र में ही ऐसी परिस्थितियों का सामना किया जिनसे बड़े-बड़े भी घबरा जाएं।जहाँ अधिकतर लोग गरीब होते हुए भी अपने माता-पिता के संरक्षण में सुरक्षित रहते हैं, वहीं रूचि अपने माँ के बिना और पिता की अनुपस्थित में घर की अकेली जिम्मेदार बन गई।
दो साल पहले उसकी माँ की देहांत हो गया। उस समय से, रूचि को अपने दो भाइयों और घर का पूरा भार उठाना पड़ा। एक शांत, डरपोक और कमजोर लड़की के लिए यह काम बेहद कठिन था। धीरे-धीरे, वह मानसिक तनाव की शिकार हो गई। रूचि की जिंदगी जीना आसान नहीं था।
जब रूचि के पिता ने उसकी कठिनाइयों को देखकर उसकी शादी कराने का निर्णय लिया, तो उसकी दुनिया और उलट-पुलट हो गई। रूचि ने दसवीं की परीक्षा अच्छे अंकों से पास की थी और वह आगे पढ़कर एक अच्छी नौकरी करना चाहती थी। लेकिन शादी के बात ने उसे अंदर से तोड़ दिया। वह अकेले घर से बाहर जाने में डरने लगी, उसकी हालत इतनी ख़राब हो गई कि वह रोते-रोते अचानक चिल्लाने लगती। आस-पड़ोस की लोग समझने की बजाय आलोचना करते, जिससे उसकी हालत और बिगड़ती गई।
पर रूचि की जिंदगी में एक रोशनी की किरण आई। जब उसके दोस्तों और ऑफिस के सहकर्मियों ने उसकी स्थिति के बारे में जाना, तो उन्होंने उसे साहस दिया और समझाया। उन्होंने कहा, "जब भी रोना आए, तो बिना रोए लोगों के बिच अपनी बातों को हिम्मत से रखो। "इस बात ने रूचि को एक नई राह दी। उसने अपनी साथी रश्मि दीदी को सहारा लिया और अपनी समस्याओं को उनके साथ साझा करना शरू किया।
धीरे-धीरे रूचि ने अपने भीतर की कमजोरी को हरा दिया।की कमजोर समझी जाने वाली एक लड़की कैसे अपने साहस से सबकुछ बदल सकती है। अब अपने पढाई पर ध्यान केन्द्रित कर रही है और अपने आत्म-सम्मान को बढ़ा रही है। वह अब दूसरों की बातों को सुनकर चुपचाप नहीं रोती, बल्कि मजबूती से उनका सामना करती है।
कहते हैं:
तू पत्थर से भी ज्यादा कठोर है,
हर बंधन-रुकावट तोड़ सकती है।
तेरी राह चाहे कितनी मुश्किल हो,
तू अपने दम पर नया रास्ता बना सकती है।
तू शांति भी है, और जंग की तलवार भी,
हर मुश्किल का हल तू खुद निकाल सकती है।
नारी, तुझमें बेमिसाल ताकत का दरिया बहता है,
बस खुद पर भरोसा रख,तू हर सपना साकार कर सकती है।"
रुचि
बैच-10, मुंगेर
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