Friday, October 18, 2024

प्राइवेट स्कूल में नामांकन होने की आशंका से सरकारी स्कूल से नामांकन कटा

आज मैं तीन स्कूलों और गांवों में गई, जहाँ का अनुभव साझा करना चाहूंगी। सबसे पहले, मैं महापुर गांव गई और सीमा दीदी को साथ लेकर गई क्योंकि यहाँ दो लड़कियाँ थीं जो बिल्कुल भी सुनने को तैयार नहीं थीं। जब भी उन्हें स्कूल ले जाने की कोशिश की जाती, वे या तो जंगल चली जातीं, या कहीं छिप जातीं, या फिर घर में ही रहतीं। उनके माता-पिता भी अब थक चुके थे क्योंकि वे भी उन्हें समझाने की कोशिश करते, लेकिन लड़कियाँ सुनती ही नहीं थीं।

जब हमने उनकी माँ से बात की, तो वह बोलीं कि उन्होंने कई बार बच्चियों को स्कूल भेजने की कोशिश की है, लेकिन वे नहीं सुनतीं और उल्टा लड़ने लगती हैं। इस स्थिति को देख हम भी असमंजस में थे कि अब क्या किया जाए!

आज जब हम वहाँ गए तो एक लड़की जिसका नाम काजल कुमारी था, की भाभी से बात की। उन्होंने बताया कि काजल धान की रोपाई के लिए दूसरे गांव गई है और आठ दिन बाद वापस आएगी। हमने उनसे कहा कि आप काजल को स्कूल क्यों नहीं भेजतीं, तो भाभी ने जवाब दिया कि हम उसे समझाते हैं लेकिन वह नहीं मानती।

फिर हम दूसरी लड़की के घर गए। उसकी माँ ने बताया कि वह प्राइवेट स्कूल में पढ़ाई कर रही है। हमने कहा, "ठीक है, लेकिन कम से कम हफ्ते में दो दिन तो उसे सरकारी स्कूल भेज सकते हैं, ताकि उसका नामांकन कटा न हो।" इस पर उनकी माँ ने हामी भरी, लेकिन आधार कार्ड में गलती की वजह से समस्या थी। हमने उन्हें आधार कार्ड लेकर नाम चढ़वाने को कहा, लेकिन उन्होंने समय की कमी का हवाला दिया।


इसके बाद हम M.S. वृंदावन स्कूल गए, जहाँ प्रिंसिपल से बात की। उन्होंने बताया कि एक बच्ची का नाम उन्होंने काट दिया है क्योंकि वह प्राइवेट स्कूल में पढ़ने जाती है। हमने उनसे कहा कि बच्ची अब से नियमित रूप से सरकारी स्कूल आएगी, इसलिए उसका नामांकन वापस चढ़ा दें। लेकिन प्रिंसिपल ने कहा कि जब तक वह लगातार दो महीने स्कूल नहीं आएगी, तब तक नामांकन नहीं होगा। हमने बच्ची के अभिभावकों को भी बुलाया, लेकिन प्रिंसिपल नहीं माने। हमने दो घंटे तक बैठकर उनसे रिक्वेस्ट (request) की, लेकिन कोई हल नहीं निकला। अंत में, हमने वहाँ दो अन्य बच्चों का रिटेंशन किया।

इसके बाद, P.S. महापुर स्कूल में दो बच्चों का रिटेंशन हुआ। फिर हम सांवला गए, जहाँ एक बच्ची का रिटेंशन करना था। उसकी माँ ने बताया कि बच्ची बहाने बनाती है कि उसकी कॉपी नहीं है और स्कूल नहीं जाती। जब हम मैडम को लेकर गए, तो पता चला कि वह बच्ची मानसिक रूप से दिव्यांग है। मैडम ने कहा कि वह स्कूल नहीं जा पाएगी, इसलिए हम बेवजह परेशान हो रहे हैं।

अंजना वर्मा
मैत्री प्रोजेक्ट, गया


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