Saturday, October 19, 2024

गुमसुम-सी लड़की और उसका विद्यालय

आज मैं एक एडु-लीडर द्वारा किए गए बदलाव की कहानी आप सबके साथ साझा कर रही हूँ। मुस्कान, हसनपुर प्राथमिक विद्यालय की एडु-लीडर है। वह अपने विद्यालय के बच्चों में जो बदलाव लाई, वह प्रेरणादायक है।

जब मुस्कान पहली बार इस विद्यालय में आई, तो उसने देखा कि बच्चे पढ़ाई में रुचि नहीं लेते थे। वे केवल खेलकूद में व्यस्त रहते थे और किताबों से दूरी बनाए रखते थे। विद्यालय का वातावरण भी बहुत उत्साहवर्धक नहीं था। मुस्कान ने धीरे-धीरे बच्चों से दोस्ती करनी शुरू की। वह खेलों में उनकी रुचि को समझते हुए उनके साथ समय बिताने लगी और इस तरह उनका रिश्ता मजबूत हो गया।

रिश्ता मजबूत होने के बाद मुस्कान ने पढ़ाई को खेल के रूप में प्रस्तुत किया। उसने छोटे-छोटे कहानियों और गतिविधियों के माध्यम से बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुचि जागृत की। बच्चों ने इन गतिविधियों से प्रेरणा ली और देखा कि पढ़ाई भी खेल की तरह मज़ेदार हो सकती है। धीरे-धीरे, बच्चों ने पढ़ाई में भी रुचि लेना शुरू कर दिया।

विद्यालय का माहौल अब बदलने लगा था। गांव में हुई शिक्षक-अभिभावक बैठक में यह चर्चा होने लगी कि अब बच्चे पहले की तरह विद्यालय में बैग रखकर बाहर नहीं घूमते। उनकी बातचीत और रहन-सहन में भी बदलाव दिखने लगा।

पहले, मेरे विद्यालय में जब प्रार्थना होती थी, तो उसे जबरन ताली बजा-बजाकर करवाया जाता था। जब स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस मनाया जाता था, तो बच्चे उत्साहित नहीं होते थे और खुद से कुछ करने में रुचि नहीं दिखाते थे। फिर एक स्वतंत्रता दिवस आया, और मुस्कान ने बच्चों को समझाया कि पहले पढ़ाई में भी रुचि नहीं थी, लेकिन अब वे पढ़ाई कर पा रहे हैं, तो बाकी चीजें भी उनके लिए आसान होंगी। यह सुनकर बच्चे उत्साहित हो गए और बार-बार के प्रयासों से अब वे खुद प्रार्थना करवाते हैं। स्वतंत्रता दिवस पर वे नारे लगाने और गाना गाने के लिए भी उत्सुक रहते हैं।

इन छोटे-छोटे प्रयासों से बच्चों में बड़ा बदलाव देखने को मिला और इससे मुस्कान का आत्मविश्वास भी बढ़ा।

नेहा कुमारी 

बडी, मुजफ्फरपुर

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