मुस्कान के प्रयासों से बच्चों में आत्मनिर्भरता
हसनपुर गाँव के एक छोटे से प्राथमिक विद्यालय में मुस्कान नाम की एक एडु-लीडर ने अपने प्रयासों से चमत्कारी बदलाव लाया। जब मुस्कान पहली बार इस विद्यालय में आई, तो उसे एक ऐसी तस्वीर दिखी, जो हर शिक्षिका के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती थी। बच्चे पढ़ाई में कोई रुचि नहीं लेते थे। वे हमेशा खेलकूद में ही व्यस्त रहते थे और किताबों से बहुत दूर थे। विद्यालय का माहौल भी नीरस और उत्साहविहीन था।
मुस्कान ने यह महसूस किया कि बच्चों को सिर्फ कड़े पाठ्यक्रम और अनुशासन के द्वारा नहीं, बल्कि उनके दिलों में शिक्षा के प्रति रुचि और उत्साह पैदा करके ही कुछ बदला जा सकता है। इसलिए उसने बच्चों से धीरे-धीरे दोस्ती करना शुरू किया। उसने उनके साथ खेलों में भाग लिया, उनकी रुचियों को समझा और इस तरह से बच्चों का विश्वास जीतने में सफल रही।
अब मुस्कान के पास एक नया दृष्टिकोण था – पढ़ाई को खेल की तरह मजेदार बनाना। उसने बच्चों के लिए छोटे-छोटे कहानी सत्र और गतिविधियाँ आयोजित कीं, जो न केवल उन्हें पढ़ाई के प्रति रुचि दिलातीं, बल्कि उनके मनोबल को भी बढ़ातीं। उसने दिखाया कि पढ़ाई सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक खेल की तरह मजेदार हो सकती है, जिसमें बहुत कुछ नया सीखने को मिलता है। इन गतिविधियों के माध्यम से बच्चों ने देखा कि पढ़ाई भी आनंददायक हो सकती है और धीरे-धीरे उनकी पढ़ाई में रुचि बढ़ने लगी।
समय के साथ विद्यालय का माहौल बदलने लगा। पहले जहाँ बच्चे बैग रखकर विद्यालय से बाहर घूमते रहते थे, वहीं अब उनकी बातचीत और रहन-सहन में एक नया बदलाव आने लगा। शिक्षक-अभिभावक बैठक में यह चर्चा होने लगी कि अब बच्चे पढ़ाई में अधिक ध्यान देने लगे हैं। बच्चों की सोच में परिवर्तन आया, और विद्यालय में उत्साह का माहौल बनने लगा।
यह बदलाव सिर्फ पढ़ाई तक सीमित नहीं रहा। पहले जब विद्यालय में प्रार्थना होती थी, तो बच्चे उसे सिर्फ मजबूरी समझकर ताली बजा-बजाकर करते थे। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस जैसे कार्यक्रमों में बच्चों का उत्साह भी बहुत कम था। लेकिन मुस्कान ने बच्चों को समझाया कि अगर वे पढ़ाई में रुचि ले सकते हैं, तो बाकी सब चीजें भी उनके लिए आसान होंगी।
इस एक छोटे से संदेश ने बच्चों में जोश भर दिया। अब बच्चों ने खुद से प्रार्थना करवाई और स्वतंत्रता दिवस पर नारे लगाने और गाना गाने के लिए उत्साहित हो गए। यह देखकर मुस्कान को बहुत संतोष हुआ, क्योंकि उसने बच्चों में न केवल पढ़ाई की रुचि जगाई थी, बल्कि उन्हें जिम्मेदारी और आत्मविश्वास भी सिखाया था।
मुस्कान के छोटे-छोटे प्रयासों ने बच्चों के जीवन में बड़ा बदलाव ला दिया। उनकी उत्साही भागीदारी और मुस्कान के निरंतर प्रोत्साहन ने न केवल उनके शैक्षिक स्तर को बढ़ाया, बल्कि उन्हें समाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी सक्रिय रूप से भाग लेने की प्रेरणा दी। मुस्कान का आत्मविश्वास भी इन बदलावों को देखकर बढ़ा।
मुस्कान कुमारी
बैच-10
बडी - नेहा कुमारी, मुजफ्फरपुर
No comments:
Post a Comment