मुझे i-सक्षम से जुड़े हुए लगभग एक वर्ष पूरा होने वाला है। इस एक वर्ष में मैंने बहुत कुछ सीखा है, स्वयं में बहुत से बदलाव से बदलाव देखें हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं।
अब मैं हजारों की भीड़ में खुद को सबसे अलग महसूस करती हूँ।
दस लोगों के सामने अपनी बातों को रख पाती हूँ और उन्हें समझा पाती हूँ।
सामने वाले व्यक्ति की भावनाओं को समझ पाती हूँ और अपनी भावनाएँ समझा पाती हूँ।
स्वयं के लिए सही-गलत का चुनाव कर पाना।
खुद की गलतियों में सुधार कर पाना।
जब मैं इन चीजों को खुद में देख पा रही हूँ तो मुझे खुद पर बहुत गर्व महसूस हो रहा है। यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात है।
मैं एक-दो महीने पहले का एक छोटा सा अनुभव आपके साथ शेयर कर रही हूँ। पहले जब मैं छ:-सात बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती थी तब मैं उनके दो घंटे के ट्यूशन के समय को सही से मैनेज (manage) नहीं कर पाती थी। मुझे खुद ही लगता था कि मैं उन बच्चों को ठीक से नहीं पढ़ा पाती हूँ। हालाँकि मेरे पास विषय (हिन्दी, अंग्रेजी और गणित) का ज्ञान तो था परन्तु पढ़ाने का सही तरीका नहीं पता था।
ट्यूशन वाले बच्चों की कक्षा भी अलग-अलग होती है और उनका स्तर भी अलग-अलग होता है। जिस कारण मैं समझ नहीं पाती थी कि दो घंटे में एक साथ उन्हें कैसे पढ़ाऊँ?
फिर एक दिन हमारा Multi-grade Multi-level Class (MG-ML) का सेशन हुआ और सेशन से मेरी समझ काफी बेहतर बन पाई कि मैं इसे अपने ट्यूशन में सभी बच्चों को बेहतर ढंग से कैसे पढ़ा सकती हूँ। मैंने MG-ML के सभी नियम अपनी कक्षा में फ़ॉलो (follow) किए और आज मेरे पास 15 बच्चे ट्यूशन पढ़ रहें हैं। अब मुझे भी कोई समस्या नहीं होती और बच्चे भी मेरे पढ़ाने के तरीकों को पसंद करते हैं। मैं अपनी इस प्रोग्रेस (progress) से बहुत खुश हूँ और इसे सीखने से मेरा जीवन थोड़ा आसान हुआ है।
“जीवन में हर चीज आसान नहीं होती बल्कि हमें आसान बनानी पड़ती है”। मुझे अपने जीवन में क्या, कब, और कैसे करना है यह सवालों के जवाब मैं दूसरों से पूछती थी, लेकिन जब से i-सक्षम संस्था मेरे जीवन में आयी है तब से मुझे इन सवालों के जवाब स्वयं ही मिल जाते हैं।
शीतल कुमारी
बैच 10, जमुई
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