Wednesday, September 17, 2025

एक लड़की, पाँच पैन कार्ड और वो मज़ाक.

"अब ये लड़कियां भी हमारे बराबर काम करेंगी!"

मुज़फ्फरपुर की एक गली में कुछ युवा लड़कों ने यह तंज तब कसा, जब रितु कुमारी ने मोहल्ले के पाँच लोगों की एक सीधी-सी समस्या सुलझाने का बीड़ा उठाया। उन लोगों को पैन कार्ड बनवाना था, और सबको यही लग रहा था कि यह काम कोई साइबर कैफ़े वाला ही कर सकता है। लेकिन रितु ने बड़ी सहजता से कहा, “क्यों न मैं कोशिश करूँ?

गाँव की लड़कियों को अक्सर तकनीक और सरकारी प्रक्रियाओं से दूर रखा जाता है, लेकिन रितु के भीतर यह जिद थी कि वह इस सोच को बदलेगी। उसे अंदाज़ा भी नहीं था कि यह छोटा-सा कदम उसके लिए एक बड़ी यात्रा बन जाएगा।

जब रितु ने ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू की, तो उनके सामने मुश्किलों का पहाड़ खड़ा हो गया। कभी वेबसाइट बार-बार बंद हो जाती, कभी दस्तावेज़ का फ़ॉर्मेट स्वीकार नहीं होता, तो कभी एक छोटी-सी संख्या की गलती सब गड़बड़ कर देती। कई रातें उन्होंने अधूरे फ़ॉर्म के साथ बिताईं। थकान और झुंझलाहट से भरे पलों में भी उन्होंने हार नहीं मानी। वह खुद से कहतीं— “अगर मैं पीछे हट गई, तो ये पाँच लोग फिर से किसी और पर निर्भर हो जाएंगे।”

उन्होंने एक-एक करके सभी ज़रूरी दस्तावेज़ इकट्ठे किए—आधार कार्ड, जन्म प्रमाणपत्र और पहचान पत्र। हर गलती से सीख लेकर वह प्रक्रिया को दोहराती रहीं। आखिरकार वह दिन आया जब सभी दस्तावेज़ सही ढंग से अपलोड हो गए और शुल्क का भुगतान भी सफल हो गया। उस वक्त रितु के चेहरे पर एक अनोखी चमक थी—जैसे लंबे संघर्ष के बाद मिली जीत की खुशी हो।

जैसा कि रितु बताती हैं, “शुरुआत में मुझे लगा कि यह प्रक्रिया कठिन और समय लेने वाली होगी, लेकिन जब मैंने इसे व्यवस्थित तरीके से करना शुरू किया, तो सब कुछ सुगमता से होता गया।”

कुछ ही दिनों में खबर मिली कि पाँचों पैन कार्ड बनकर तैयार हो गए हैं। रितु याद करती हैं, “जब पुष्टि संदेश मिला कि सभी पाँच लोगों का पैन कार्ड स्वीकृत हो गया है, तो मुझे बहुत खुशी हुई। सबसे बड़ी संतुष्टि यह रही कि जिन लोगों के लिए पैन कार्ड बनवाया गया था, वे अब अपने आर्थिक और सामाजिक कार्यों में आगे बढ़ सकेंगे।” 

वे पाँच साधारण-से दस्तावेज़ अब उन लोगों की नई पहचान बन चुके थे। अब वे बैंक खाता खोल सकते थे, नौकरी के लिए आवेदन कर सकते थे और सरकारी योजनाओं से जुड़ सकते थे।  

रितु बताती हैं— “यदि हम धैर्य, ध्यान और जिम्मेदारी के साथ काम करें, तो कोई भी प्रक्रिया कठिन नहीं होती।”

रितु की यह कोशिश भले ही छोटी लगे, लेकिन इसने साबित कर दिया कि जागरूक युवा जब हिम्मत और जिम्मेदारी के साथ आगे आते हैं, तो समाज में बदलाव की नई रोशनी जगमगाने लगती है।

..........

लेखिका:

नाम: रितु कुमारी

परिचय: रितु मुज़फ्फरपुर से हैं और i-Saksham की एक Edu-Leader (बैच-11) के रूप में अपने समुदाय में डिजिटल साक्षरता और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दे रही हैं। 

लक्ष्य: रितु का सपना है कि वह तकनीक और सरकारी सेवाओं तक पहुँच बढ़ाकर अपने समुदाय के लोगों को सशक्त करें। 


No comments:

Post a Comment