Wednesday, September 24, 2025

“क्या मेरी अपनी कोई पहचान नहीं?”

 “क्या मेरी अपनी कोई पहचान नहीं?”

यह सवाल खुशबू दी के मन में अक्सर गूंजता था। प्रह्लादपुर की रहने वाली, उनकी शादी बहुत कम उम्र में हो गई थी। किस्मत से ससुराल अच्छा मिला, लेकिन वह 14 सदस्यों का एक बड़ा परिवार था। दिन भर घर की जिम्मेदारियों को निभाते-निभाते, उनकी अपनी पहचान कहीं खो गई थी। लोग उन्हें केवल "किसी की पत्नी" और "किसी की बहू" के रूप में जानते थे। 

पढ़ाई की इच्छा दिल में हमेशा ज़िंदा रही। बड़ी मेहनत से उन्होंने घर संभालते हुए स्नातक (B.A.) की डिग्री भी हासिल की, लेकिन डिग्री के बाद भी ज़िंदगी वापस उसी ढर्रे पर लौट आई—रसोई, बच्चे और घर का काम।

इस सवाल का जवाब और ज़िंदगी में एक नया मोड़ उन्हें शादी के 13 साल बाद मिला, जब वह i-सक्षम फेलोशिप से जुड़ीं। यह मौका उनके लिए एक नई शुरुआत जैसा था। यहाँ ट्रेनिंग, दोस्तों जैसे माहौल और रोचक गतिविधियों ने उनकी खोई हुई खुशियों को लौटा दिया।


धीरे-धीरे, उनके नेतृत्व ने एक नई शक्ल लेनी शुरू की। उन्हें विद्यालय और समुदाय में बच्चों को पढ़ाने का अवसर मिला। शुरुआत में यह सिर्फ एक काम लगा, लेकिन जब बच्चों की आँखों में उनकी पहचान चमकने लगी और वे मुस्कुराते हुए “खुशबू मैम” कहकर बुलाने लगे - एक नई पहचान मिली।

आज गाँव के लोग भी उन्हें सम्मान से “मैडम” कहकर पुकारते हैं। समुदाय में उन पर इतना विश्वास है कि लोग कहते हैं—“अगर मैडम ने कहा है, तो यह ज़रूर होगा।” यह सिर्फ एक सम्मान नहीं, बल्कि उनके नेतृत्व की सबसे बड़ी उपलब्धि है।

खुशबू दी मानती हैं कि यह फेलोशिप खत्म होने के बाद भी, वह अपने समुदाय के बच्चों को पढ़ाकर हमेशा “मैडम” कहलाती रहेंगी। अब उनकी पहचान किसी रिश्ते तक सीमित नहीं है। वह आज एक शिक्षिका हैं, एक लीडर हैं और कई लोगों के लिए एक प्रेरणा हैं।


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लेखिका के बारे में:

नाम: खुशबू कुमारी

परिचय: खुशबू प्रह्लादपुर, मुजफ्फरपुर की रहने वाली हैं और i-Saksham बैच-11 की एक एडू-लीडर हैं।

i-सक्षम से जुड़ाव: खुशबू वर्ष 2024 में i-Saksham से जुड़ी हैं।

लक्ष्य: खुशबू भविष्य में एक नौकरी करके आत्मनिर्भर बनना चाहती हैं और अपनी पहचान को और मज़बूत करना चाहती हैं।

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