“नहीं दीदी, आप ही कर दीजिए।”
यह रानी का जवाब होता था, जब भी मैं उसे सेशन में कुछ करने के लिए आगे बुलाती थी। मेरा नाम पायल कुमारी है और मैं i-सक्षम की एक एडू-लीडर हूँ। जब मैंने फेलोशिप की शुरुआत की, तो किशोरियों के साथ हर महीने सेशन लेना मेरी ज़िम्मेदारी थी। लेकिन शुरू में बहुत कम लड़कियाँ आती थीं, और जो आती थीं, उनमें से ज़्यादातर चुपचाप बैठी रहती थीं।
रानी भी उन्हीं में से एक थी। मलयपुर की रहने वाली, वह हमेशा सहमी-सहमी और चुप रहती थी। उसके अंदर आत्मविश्वास की इतनी कमी थी कि वह किसी भी गतिविधि में हिस्सा लेने से साफ़ मना कर देती थी।
मुझे समझ आ गया था कि सिर्फ जानकारी देना काफी नहीं है; मुझे कुछ ऐसा करना होगा जिससे ये लड़कियाँ खुलें और अपनी आवाज़ को पहचानें। यह मेरे लिए एक लीडर के तौर पर पहली चुनौती थी।
मैंने तय किया कि सेशन को थोड़ा मज़ेदार और एक्टिव बनाऊँगी। मैंने लड़कियों को छोटे-छोटे ग्रुप में बाँटा और उन्हें आसान सी गतिविधियाँ और चैलेंज दिए। मेरा मकसद था कि वे पहले एक-दूसरे के साथ सहज हों। धीरे-धीरे जब उन्होंने छोटे समूहों में भाग लेना शुरू किया, तो मैंने उन्हें बड़े ग्रुप में भी मौके दिए।
इसका असर दिखना शुरू हो गया। लड़कियाँ अब अपनी राय रखने लगी थीं। लेकिन सबसे बड़ा बदलाव रानी में आया। जो लड़की पहले एक शब्द भी नहीं बोलती थी, अब वह छोटे-छोटे कामों में हिस्सा लेने लगी।
आज रानी को देखकर कोई कह नहीं सकता कि यह वही लड़की है। अब वह बिना डरे बोलती है, सवाल पूछती है और सेशन को बेहतर बनाने के लिए मुझे सुझाव भी देती है। उसकी सबसे अच्छी बात यह है कि वह अब एक भी सेशन मिस नहीं करती और हर गतिविधि में सबसे आगे रहती है। मैंने उसके माता-पिता से भी बात की, और यह जानकर अच्छा लगा कि वे भी रानी में आए इस बदलाव को देख रहे हैं और उसे पूरा सपोर्ट कर रहे हैं।
यह बदलाव सिर्फ रानी में ही नहीं, बल्कि बाकी किशोरियों में भी आया है। लेकिन रानी की प्रगति देखकर मुझे जो खुशी होती है, उसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है। यह मेरे लिए भी गर्व की बात है कि मेरे एक छोटे-से प्रयास ने किसी के आत्मविश्वास को जगा दिया।
लेखिका के बारे में:
नाम: पायल कुमारी
परिचय: पायल कुमारी i-Saksham फेलोशिप के बैच-11 की एक एडू-लीडर हैं, जो अपने समुदाय की किशोरियों के बीच आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता का विकास करने के लिए काम कर रही हैं।
लक्ष्य: पायल का सपना है कि वह अपने समुदाय की हर लड़की को इतना सशक्त बनाएं कि वे अपनी आवाज़ बिना किसी डर के उठा सकें।
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