नमस्ते साथियों,
आज मैं आपके साथ फील्ड में हुए मेरे एक अनुभव को साझा करना चाहती हूँ। यह कहानी जमुई के कश्मीर गाँव की है। जहाँ लड़कियाँ पढ़ना तो चाहती हैं, परंतु किसी न किसी कारणवश वे पढ़ाई नहीं कर पाती हैं।
सबसे पहले, मैं आपको बताना चाहती हूँ कि मैं अभी Wayam में एक Coordinator के रूप में जुड़ी हुई हूँ। Wayam का उद्देश्य हमें किशोर-किशोरियों के समूह बनाकर उनकी आकांक्षाओं को जानना और उन्हें शिक्षा से जोड़ना है। इसलिए मैं कश्मीर गाँव गयी थी।आज
नेहा ने 17 साल की उम्र में पहली बार कलम पकड़ी। जैसा कि आप तस्वीर में देख सकते हैं।
उसने खुद से एक चित्र भी बनाया। उसने कहा कि
उसे कभी नहीं लगा था कि वह भी कभी पढ़ पाएगी और कुछ चित्र जैसी चीजें भी बना पाएगी।
यह
अनुभव मेरे लिए बहुत प्रेरक था। मैंने देखा कि कैसे शिक्षा की कमी लोगों के जीवन को
प्रभावित करती है। मुझे यह भी महसूस हुआ कि
Wayam जैसे संगठन कितने महत्वपूर्ण हैं जो इन बच्चों को शिक्षा से जोड़ने का काम करते
हैं। मुझे उम्मीद है कि आप भी इस कहानी से प्रेरित होंगे और Wayam जैसे संगठनों का
समर्थन करेंगे।
वयम कोऑर्डिनेटर, जमुई
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