Saturday, April 20, 2024

17 वर्षीय नेहा ने पहली बार कलम पकड़ी

नमस्ते साथियों,

आज मैं आपके साथ फील्ड में हुए मेरे एक अनुभव को साझा करना चाहती हूँ। यह कहानी जमुई के कश्मीर गाँव की है। जहाँ लड़कियाँ पढ़ना तो चाहती हैं, परंतु किसी न किसी कारणवश वे पढ़ाई नहीं कर पाती हैं।

सबसे पहले, मैं आपको बताना चाहती हूँ कि मैं अभी Wayam में एक Coordinator के रूप में जुड़ी हुई हूँ। Wayam का उद्देश्य हमें किशोर-किशोरियों के समूह बनाकर उनकी आकांक्षाओं को जानना और उन्हें शिक्षा से जोड़ना है। इसलिए मैं कश्मीर गाँव गयी थी।

वहाँ मेरी मुलाकात नेहा से हुई। जब मैंने उससे बातचीत की। तो उसने बताया कि वह 17 साल की है, परंतु आज तक वह कभी स्कूल नहीं गई।

हमने उससे पूछा कि ऐसा क्यों है? और क्या हुआ था?

नेहा ने बताया कि उसके माता-पिता बाहर रहते हैं और गाँव में वह अपने दादा-दादी के साथ रहती है। उसे दादा-दादी का ख्याल रखना होता है, उन्हें समय पर खाना-पीना बनाकर देना होता है। इसी काम में वह व्यस्त रहती है और कभी स्कूल नहीं जा पाई।


नेहा की बात सुनकर मैंने उससे पूछा कि क्या उसे कभी स्कूल जाने का मन नहीं करता? उसने कहा कि बहुत मन करता है। तब
मैंने पूछा कि क्या आपको मौका मिलेगा तो आप स्कूल जाना चाहोगी?

नेहा ने तुरंत हाँ में जवाब दिया।

आज नेहा ने 17 साल की उम्र में पहली बार कलम पकड़ी। जैसा कि आप तस्वीर में देख सकते हैं। उसने खुद से एक चित्र भी बनाया। उसने कहा कि उसे कभी नहीं लगा था कि वह भी कभी पढ़ पाएगी और कुछ चित्र जैसी चीजें भी बना पाएगी।

फिर मैंने नेहा से पूछा कि क्या कोई और भी है जो अभी तक स्कूल नहीं गई है? तब पता चला कि 4-5 लड़कियाँ हैं जो अभी तक स्कूल नहीं गई हैं। मैं उनसे भी मिलने गयी और उनके स्कूल नहीं जाने के कारणों को जाना। अब आगे मेरा काम नेहा और बाकी साथियों का नामांकन कराना है।


अभी तक उन सबका आधार कार्ड भी नहीं बना है, तो उनका आधार कार्ड बनवाना भी
मेरा काम है।

यह अनुभव मेरे लिए बहुत प्रेरक था। मैंने देखा कि कैसे शिक्षा की कमी लोगों के जीवन को प्रभावित करती है। मुझे यह भी महसूस हुआ कि Wayam जैसे संगठन कितने महत्वपूर्ण हैं जो इन बच्चों को शिक्षा से जोड़ने का काम करते हैं। मुझे उम्मीद है कि आप भी इस कहानी से प्रेरित होंगे और Wayam जैसे संगठनों का समर्थन करेंगे।

रेशमा
वयम कोऑर्डिनेटर, जमुई

 

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