नमस्ते साथियों,
मैं उत्क्रमित मध्य विद्यालय खरौना मैं पढ़ाती हूँ। शुरू में जब मैंने पढ़ाना स्टार्ट किया था तब मुझे पता चला कि मेरे विद्यालय में कभी PTM ही नहीं हूँई। मैंने प्रधानाध्यापिका से बात करके PTM करवाने का सोचा।मैं
एक-एक बच्चे के घर जाकर अभिभावकों से मिली, उनसे बात की।
अब तक मैंने चार PTM कंडक्ट (conduct) कर ली हैं। इन
बैठकों के माध्यम से अभिभावकों को जानकारी हुई है
कि उनके बच्चे विद्यालय में क्या पढ़ते हैं? कैसे पढतें हैं? और क्या नयी चीजें सीख
रहें हैं?
जैसे-
बच्चे कोई नयी कविता या एक्टिविटी सीखें हैं, पढ़ाई में मन लगने लगा है, अच्छी आदतें
अपना रहें हैं आदि।
प्रधानाध्यापिका, श्री विभा कुमारी जी और बाकी शिक्षकों ने विद्यालय में हो रहे बदलावों और PTM को रेगुलर करने के लिए मेरी व्यक्तिगत तौर पर प्रशंसा की है। इसलिए मैं बहुत अच्छा महसूस कर रही हूँ।
PTM
ही विद्यालय और समुदाय के बीच एक पुल का कार्य करती है।
अब विद्यालय परिवार, अपनी बातें अभिभावकों के साथ और अभिभावक, शिक्षकों के साथ रख सकते
हैं। इसलिए मैं बहुत अच्छा
महसूस कर रही हूँ।
आकांक्षा
बैच-10, मुज्ज़फरपुर
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