Thursday, April 18, 2024

अब पहले से ज्यादा सशक्त महसूस करती हूँ।

यह लेख बैच-10 की काजल के बारे में हैं। जब वो i-सक्षम से जुड़ी उन्हें बिलकुल नहीं लगा था कि वो ये 2 वर्ष की फ़ेलोशिप को पूरा कर पाएंगी।

लगातार सेशंस में जुड़ने पर उन्हें लगा कि मैं सही में यहाँ से हर बार कुछ नया सीख रही हूँ। तो मुझे फ़ेलोशिप तो पूरी करनी ही चाहिए।

जैसे- “मैं अपनी बातों को कभी घर में भी नहीं रख पाती थी। न ही घर से बाहर कहीं बोल पाती थी। मैं खुद की पढाई भी सही तरीके से नहीं कर पाती थी। कभी ध्यान नहीं देती थी। PTM के दौरान भी मुझे अपनी बात रखने में थोड़ी समस्या आती थी”।


लेकिन जब मैं सेशन के टॉपिक्स पर अपनी सोच गहरी करती गयी और एक समझ बनायी कि अपनी voice & choice को रखना बहुत जरुरी होता है।

जब मैंने अपनी बातें रखना शुरू किया, तभी मुझे खुद के लिए आवाज़ उठाने का भी मन किया। मैंने अपनी पढ़ाई शुरू की।


अब PTM में भी अपनी भाषा में या गाँव वालो की भाषा में खुलकर बोल पाती हूँ। अब मैं क्लस्टर में भी अपनी बातों को रखती हूँ और गाँव की लड़कियों और महिलाओं को भी अपनी स्टोरी बताकर प्रेरित करने की कोशिश करती हूँ। मुझे i-सक्षम की ये फ़ेलोशिप यात्रा अच्छी लग रही है।

अपनी स्कूटी भी खरीदी:

पहले सेशन में आने के लिए, स्कूल या गाँव जाने के लिए मुझे काफी चलना पड़ता था। ट्रांसपोर्ट ना मिलने के कारण समय खराब होता था।

इसलिए मैंने अपने घरवालों के सामने
स्कूटी खरीदने की बात रखी। मेरे माता-पिता ने मेरी बात मानी और मुझे स्कूटी खरीद कर दी। अब मैं पहले से और ज्यादा सशक्त महसूस करती हूँ।

स्कूटी से ही स्कूल, क्लस्टर और ऑफिस भी जाती हूँ। ऐसा नहीं था कि मुझे स्कूटी चलाना बहुत अच्छे से आता था। परन्तु मैं प्रैक्टिस करती रही और अब अच्छे से सीख गयी हूँ। अब तो आस-पड़ोस के लोग मुझे देखकर अपने बच्चों को आगे बढ़ने और पढ़ाई करने की सलाह देते हैं।

राधा, कम्युनिकेशन बडी, मुज्ज़फ्फरपुर


                           




No comments:

Post a Comment