बेगूसराय के तेघरा ब्लॉक के एक छोटे से गाँव नौनपुर की तन्नु प्रिया ने
i-सक्षम के बारे में जब सुना कि यह महिलाओं की Voice & Choice पर काम करने वाली
संस्था है। महिलाएँ, युवतियाँ कुछ सीखें और
अपने गाँव के विद्यालय और समाज को सहयोग देनें के उद्देश्य से जुड़े, उनके लिए
i-सक्षम का फॉर्म भरने के लिए इतना ही जानना काफी था।
जब उन्हें पता चला कि इस कार्य के लिए उन्हें स्टाइपेंड भी मिलेगा तो उनकी ख़ुशी की सीमा नहीं थी। उन्होंने न सिर्फ अपना
फॉर्म भरा, उन्होंने अपने आस-पास की तीन अन्य
महिलाओं का फॉर्म भरवाया।
तन्नु प्रिया के पिता जी पेशे से किसान हैं और माता जी घर के कामों में
व्यस्त रहती हैं। तन्नु प्रिया वर्तमान में बेगूसराय के जी.डी. कॉलेज से अग्रेज़ी (होनर्स)
में मास्टर्स कर रही हैं। उन्हें i-सक्षम से जुड़े हुए मात्र एक वर्ष हुआ है और
उन्होंने अपने अभी तक के अनुभवों के कारण आगे सामाजिक क्षेत्र में ही अपना करियर बनाने का मन बनाया है।
कुछ दिन विद्यालय में एक तरफ शिक्षक और एक तरफ एडु-लीडर तन्नु प्रिया
को थोड़ा असहज जरुर महसूस हुआ परन्तु समय और तन्नु के बच्चों को पढ़ाने के लिए किए गये
प्रयासों के साथ शिक्षकों और तन्नु के बीच एक पुल जरुर बना है।
हमेशा अनजान लोगों से बात
करने में डरने वाली तन्नु अब बेहिचक फील्ड-वर्क पर निकलती है। अभिभावक शिक्षक बैठक हो या विलेज मैपिंग (village mapping) वो कहीं
पीछे नहीं रहती।
स्टाइपेंड से मिले पैसो को वो बैंक से नहीं निकलती, क्योंकि तन्नु प्रिया
अपने रुपयों से स्कूटी खरीदना चाहती है।
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