नमस्ते दोस्तों,
आज मैं, माधुरी की क्लास विजिट का छोटा सा अनुभव साझा कर रही हूँ। मैं घर से जल्दी निकली (पौने नौ बजे)। क्योंकि माधुरी का स्कूल, पक्की सड़क से दो किलोमीटर अंदर हैं। मुझे मुगराईन जाना था और मैं मुगराईयां पहुँच गयी। ये एक जैसे नाम के दो गाँव और दो स्कूल थे। यह भी करीब दो किलोमीटर अन्दर ही था।
अब मैं गलत गाँव में पहुंचकर सोच में पड़ गयी कि क्या करूँ? यहाँ तो ऑटो भी नहीं मिल रहा। अब तो समय पर स्कूल पहुँच पाना असंभव सा लग रहा था। तभी रस्ते में एक वृद्ध महिला मिली। मैंने उन्हें अपनी परेशानी साझा की। तभी वहाँ से एक बाइक सवार भैया जा रहे थे। शायद इन (वृद्ध महिला) के जानने वाले होंगे।
इन्होने उस भैया से कहा कि
इस लड़की को मुगराईन स्कूल तक छोड़ आओ। भैया, तुरंत मान गए।
पर उनकी बाइक पर बैठने से पहले मेरे
मन में सौ सवाल घर कर रहे थे। मम्मी-पापा और समाज से लेकर पता नहीं क्या-क्या चल रहा
था। मुझे डर भी लग रहा था और बहुत टेंशन भी हो रही थी।मेरे पास और आप्शन नहीं थे, इस कारण मैंने बाइक पर बैठना सही समझा। भैया ने मुझे स्कूल तक ड्राप किया और मेरी टेंशन खत्म हुई। मैंने उन्हें धन्यवाद किया।
जब मैं स्कूल में अन्दर गयी तो थोड़ा नर्वस फील हो रहा था। क्योंकि मैं सेण्टर पर पढ़ाती हूँ और ये अनुभव मेरे लिए नया था। मैं पहली बार स्कूल विजिट करने गयी थी। मुझे यहाँ बच्चों का असर टेस्ट कंडक्ट कराना था। मुझे विद्यालय के टीचर्स बहुत अच्छे और सहायक लगे। उन्होंने मुझे बहुत आदर भी दिया और मेरे काम में मदद भी की।
रीमा शर्मा
बडी, गया
बडी, गया
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