Thursday, July 18, 2024

आँखों का अस्पताल कहें या प्रेरणा का स्त्रोत!

साथियों, जून महीने में हमें बिहार, छपरा जिले के मस्तिचक में स्थित आई-अस्पताल का दौरा करने का अवसर मिला पढ़ने में थोड़ा अजीब भी लग रहा होगा कि अस्पताल का दौरा करने कौन जाता है! परन्तु आप इस विवरण को पूरा पढ़ेंगे तो आपको स्वतः ही सभी उत्तर मिल जायेंगे।

हम सभी साथी जमुई से पटना स्टेशन पहुँचे तो अस्पताल की गाड़ी हमें रिसीव (receive) करने आ चुकी थी। हम अस्पताल पहुँचे तो हमें तीन बेड वाला कमरा फ्रेश (fresh) होने व रहने के लिए दिया गया। फ्रेश होकर हम सभी कैन्टीन में चाय नाश्ता करने के लिए बढ़े। अस्पताल का टूर (tour) किया। अस्पताल में एक सुन्दर मंदिर भी था, वो भी हमने देखा। इतने में ही हमें रात के भोजन के लिए आमंत्रित किया गया। हम सभी ने भोजन किया और अपने-अपने कमरे में आराम करने चले गए। सभी के मन में उत्सुकता थी कि अगली सुबह क्या होगा?

अगली सुबह हम सभी नाश्ता करके अस्पताल के ब्लॉक-डी (block-D) में गएवहाँ हम सभी का बहुत सम्मान के साथ स्वागत हुआ। हमें भेंट स्वरुप एक डायरी, कलम और बैग भी दिया गया। इस प्रकार किये गए स्वागत से हम सभी को बहुत अच्छा महसूस हो रहा था। 

हम सभी एक कक्ष में बैठे। हमारी टीम से प्रिंस सर भी आये हुए थे। गुरुवन्दना होने के बाद हमें अखंडज्योति की शुरुआत से लेकर अभी तक की यात्रा की ब्रीफिंग (briefing) दी गयी। बेहतर समझ बनाने के लिए हमें दो विडियो भी दिखाई गयी। मैं छाया की कहानी से भावनात्मक रूप से जुड़ रही थी। मृत्युंजय सर ने भी अपनी यात्रा के बारे में विस्तार से बताया।

फिर i-सक्षम की ओर से रेशमा और कल्पना ने अपनी फ़ेलोशिप यात्रा और वयं के बारे में बताया। हमें समझ आ रहा था कि यहाँ के लोग हमारे बारे में, हमरी संस्था के बारे में जानकर खुश हो रहे हैं। इससे हमें भी मनोबल मिला।

इसके बाद हम सभी ने लंच किया और फिर प्रिंस सर ने i-सक्षम के विज़न और मिशन के बारे में बताया। कुछ ही देर में छाया दीदी ने अखंड ज्योति के 2030 तक के लक्ष्य को साझा किया। अभिषेक जी ने बताया कि 2027 तक अखंडज्योति को जमुई जिले में भी लाने का प्रयास रहेगा। यह बात सुनकर हम सभी के चेहरों पर चमक आ गयी। उन्होंने यह भी बताया कि यहाँ पढ़ाई और प्रशिक्षण के साथ, नौकरी के अवसर भी होंगे। आप सभी में से जो लोग इंटरेस्टेड (interested) हैं वो आवेदन पत्र भी भर सकते हैं।

मुझे इस अस्पताल की सबसे अच्छी बात यह लगी कि यहाँ सभी जरुरतमंदो की फ्री में आई-सर्जरी की जाती है और फ्री में ही चश्मा दिया जाता है। बच्चों और लड़कियों का फ्री में ही पढ़ना और रहना हो जाता है।

उनका कहना है कि “वह बिहार को आगे बढ़ाना चाहते हैं इसलिए सबसे पहले किसी बिहारी को ही आगे आना पड़ेगा। हमारे देश के सभी राज्यों में से सबसे अधिक पिछड़ा राज्य बिहार ही है। मस्तीचक जहाँ 2017 तक बिजली भी नहीं था वहाँ आज दुनिया का सबसे अच्छा ऑपरेशन थिएटर बनाया गया है। यह बात हम उस समय सोच भी नहीं सकते थे”।

इतनी बातें होने के बाद हम सभी अस्पताल के पुराने कैंपस की और गए। यह अस्पताल भी बहुत साफ़-सुथरा था। वहाँ एक मदिर था और हमें बताया गया कि यहाँ पर पाँच लड़कियाँ हमेशा अखंड नवमी करती हैं और एक ज्योति यहाँ अखंड प्रज्वल्लित होती रहती है। यह सुनकर भी मुझे ख़ुशी हुई। मथुरा के पंडित श्री राम शर्मा आचार्य जी, जो मृत्युंजय जी के गुरु भी थे, उनसे भी यहाँ के मंदिर में भेंट हुई।

मृत्युंजय सर ने अपने दोस्तों की सराहना करते हुए कहा कि मेरे दोस्तों ने मुझे बहुत सहयोग किया है। अभी भी कर रहें हैं। उनमें से ही एक दोस्त वहाँ डॉक्टर भी हैं। यह बात जानकर हमें बहुत ख़ुशी हुई और उनकी बातों से बहुत प्रेरणा भी मिली।

स्वीटी कुमारी
बैच- 10, जमुई

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