साथियों, ‘उड़ान की नई सोच’ बांद्रा ब्लॉक क्लस्टर में बैच 10 के साथियों के द्वारा यह तय किया गया था कि पीरापुर मुशहरी टोला की पांच ऐसी लड़कियों को चिन्हित कर स्कूल जाने के लिए प्रेरित करेंगे, जो स्कूल नहीं जाती हैं।
इस गोल (goal) को पूरा करने के लिए जब सभी साथी मुशहरी टोला में गए तो उन्हें कई तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ा। जैसे गाँव में लोग उन्हें अपशब्द भी कह रहे थे। लेकिन इस क्लस्टर की एडु-लीडर्स ने हार नहीं मानी।
उन्होंने उन लड़कियों को इकठ्ठा कर ही लिया, जो स्कूल नहीं जाती थी। साथ में गाँव की महिलाओ को भी इकठ्ठा किया।
जब एडु-लीडर्स इन सभी को स्वयं का उदाहरण देकर शिक्षा के महत्त्व को समझा रही थी तो समुदाय के लोग विद्यालय और शिक्षकों के प्रति अपनी उदासीनता साझा कर रहे थे। उनका कहना था कि विद्यालय परिवार बच्चों पर ध्यान नहीं देता है।
हमने इस बात को यह उत्तर देते हुए समझाया कि आप नियमित रूप से अपने बच्चों को विद्यालय भेजेंगें तो इस तरह की समस्या नहीं आएगी।
महिलाओं को शिक्षा का महत्त्व समझाते हुए हमने कहा कि आपके बच्चे जब विद्यालय जायेंगें तभी शिक्षित होंगें और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहेंगें। उनका भविष्य भी उज्जवल होगा और एक अच्छे नागरिक के रूप में उभरेंगें।
इन्हीं बातों को सुनकर उन्होंने अपने बच्चों को विद्यालय भेजने का प्रण लिया।
काजल
बैच-10, मुजफ्फरपुर
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