मैं नौवें बैच की गया जिले की एडु-लीडर ‘रेखा’ अपना सिलेक्शन (selection) बडी इंटर्न (Buddy Intern) के रूप में होने के कारण बहुत खुश और गौरवान्वित महसूस कर रही हूँ।
जब मैंने अपनी इस उपलब्धि के बारे में और साथ में आये अन्य जिलों में काम करने जाने के अवसरों के बारे में अपने घरवालों को बताया तो मेरे दादा-दादी बहुत खुश हुए। उन्होंने मुझे अच्छा काम और नाम करने का आशीर्वाद दिया। परन्तु मेरे मम्मी-पापा ने मुझे इस कार्य को करने के लिए मना कर दिया।
मेरे पापा का कहना था कि “इसी जिले में यदि कोई काम मिल रहा हो तो कर सकती हो। किसी और जिले में काम करने के लिए जाना पड़ रहा है तो काम छोड़ दो”!
मैंने भी अपनी बात अपने मम्मी-पापा के सामने रखी। मैंने पापा से एक सवाल करते हुए कहा कि पापा, मैं अपना काम छोड़ दूंगी। पर शर्त यह है कि आप मुझे हर महीने 10 हज़ार रूपये दीजियेगा।
पापा ने उत्तर दिया कि जितना तुम्हारा खर्च है, उतना हम दे देंगें।
मैंने कहा पापा आप ध्यान से सुनकर बताइए कि क्या आप मुझे मेरा पूरा खर्चा (10 हज़ार रूपये) देने के लिए तैयार हैं?
थोड़ी देर के लिए पापा कुछ नहीं बोले।
फिर कुछ देर बाद कहते हैं कि “ठीक है”। यह तुम्हारा निर्णय है, थोड़ा और सोच-विचार कर लेना। अपने घर की स्थिति से भी तुम परिचित ही हो।
पापा यह बात इसलिए बोले क्योंकि मैं घर की अकेली लड़की हूँ। मेरा कोई भाई-बहन नहीं है। मैंने भी पापा को आश्वासन दिया कि ठीक है पापा। मेरी वजह से आपको या मम्मी को किसी तरह की कोई भी दिक्कत नहीं होगी।
इस तरह से मैंने अपने घरवालों को मनाया। गर्मी में 46 डिग्री तापमान वाले दिन मैं मुंगेर जिले में बडी इंटर्न इंडक्शन को अटेंड (attend) करने के लिए रवाना हुई। गर्मी और लू के कारण यह सफ़र मुश्किलों भरा जरुर रहा पर वो कहते हैं ना...
लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालो की हार नहीं होती।
रेखा कुमारी
बडी इंटर्न, गया
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