Tuesday, July 23, 2024

शिक्षिका को सिखाया Voice & Choice का अर्थ

खुद की आवाज और पसंद को समझना और उसके लिए आवाज उठाना

दोस्तों, मैंने अपने विद्यालय के सेशन प्लान में एक माह के लिए ये एजेंडा रखा था कि मैं हर दिन दो बच्चों से उनकी पसंद जानूँगी और वो अपनी पसंद के लिए क्या करना चाहते हैं या क्या करते हैं पर अपनी समझ बनाऊँगी। 


मैं हर दिन की तरह विद्यालय में अपनी कॉपी में बच्चो की पसंद को जान कर लिख रही थी। तभी एक मैडम ने मुझसे पूछा कि तुम यह रोज क्यों लिखती हो और इससे क्या होगा? 

तब मैंने मैडम को समझाया कि “सबको अपनी पसंद जानना और उसके लिए आवाज उठाना जरूरी है”। मैं उनकी पसंद या नापसंद इसलिए जानती हूँ जिससे कि मैं उन्हें सिखा पाऊं। या यूँ कहा जाए कि अगर वो खुद की पसंद के लिए आवाज नहीं उठा पा रहें हैं, तो मैं उनकी आवाज बनूँ। 


मैडम ने कहा ऐसा सबके साथ थोड़ी होता है! मुझे सूट, कुर्ती पहनाना अच्छा लगता था। परन्तु शादी के बाद मैं ससुराल में नहीं पहन पाई। मैंने अपने घर में पहनने की इच्छा जाहिर भी की। लेकिन मुझे मना कर दिया।  

तब मैंने सोचा और निश्चय किया कि अब तो मैं मैडम को सूट पहनाकर ही दम लूंगी वो भी मेरी फैलोशिप ख़त्म होने से पहले। मैंने मैडम से, उनके घर जाकर इस विषय पर फोन पर काफी देर बात की और उन्हें “voice and choice” से जुड़ी हुईं बातों पर चर्चा की। 


मैडम का कहना था कि उनके पति मना करते हैं, उनका कहना था कि समाज के लोग बहुत तरह की बात बोलेंगे, साड़ी ही अच्छी लगती है। तो मैंने उनको समझाया आप अपनी बात को डट के उनके सामने रखें और उनको एक बार और समझायें। 


दूसरे दिन मैंने मैडम के लिए एक कुर्ती खरीदा और उन्हें उपहार के तौर पर दिया। जब मैडम ने उपहार में कुर्ती मिलने की बात अपने पति को बताई, तो उन्होंने मुझसे बात करने की इच्छा जाहिर की। तब मैडम ने फोन पर उनसे मेरी बात भी करवाई। 


उनके पति मुझसे बोल रहे थे कि “आपने जो तोहफा दिया,वो अच्छा तो हैं,पर ये इसको नहीं पहनेंगी और अगर पहनेंगी तो घर में ही घर से बाहर नहीं जाएंगी”। 


मैंने उनसे पूछा, ऐसा क्यों?

उन्होंने कहा समाज में लोग बाते बनाएंगे।


तो मैंने कहा समाज के लोग बहुत कुछ बोलते है। आप याद किजिए हो सकता है, जब शादी के बाद मैडम शिक्षिका बनी होंगी तब भी आपके समाज के चार लोग उस वक्त कुछ बोले होंगे। 

पर क्या अभी भी बोलते हैं?

तो उन्होंने कहा नहीं। 


मैंने बोला बस वो अभी भी चार दिन बोलेंगे फिर चुप हो जाएंगे।

आप मैडम की पसंद और भावना को समझिए। आप भी जानते हैं कि वो कुछ गलत तो नहीं चाह रही हैं। 


इतनी बात करने के बाद वो मेरी बात से सहमत हुए। 


साथियों मुझे बताते हुए बहुत प्रसन्नता हो रही है कि आज मैडम अपनी पसंद के अनुसार सूट पहन के आई और आते ही मुझे गले लगा के कहा, जो हम इतने दिन में नहीं समझा पाए, वो तुमने फोन पर कुछ देर की बात में समझा दिया।



उन्होंने मुझसे कहा कि आज से मैं तुम्हे दोस्त बोलूंगी और उन्होंने मेरा नंबर दोस्त के नाम से अपने मोबाइल में सेव (save) कर लिया। 


ये पल मेरे जिंदगी की कुछ अहम् उपलब्धियों में जुड़ गया। मुझे खुद पर बहुत गर्व और सुख की अनुभूति महसूस हो रही थी। इसका एक कारण यह भी था कि मैं जिन मैडम से मैं बचपन में पढ़ी, आज मैं अपने मनोबल और इच्छाशक्ति के कारण उनकी दोस्त बन पायी। 


स्मृति

बैच-9, मुँगेर


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