कुछ दिनों पहले की बात है। मेरे घर के पास एक 18-19 साल का लड़का है, जो हमेशा नशा में रहता है। आस-पड़ौस में लड़ाई- झगड़ा भी करता रहता है। एक दिन उसके मम्मी-पापा ने परेशान होकर पास के कुछ लड़कों से शिकायत की और वो सब उसके घर पर जाकर मारपीट करने लगे।
मेरे बेटे ने मुझे यह सब आकर बताया कि अमर (बदला हुआ नाम) को सब मार रहे हैं। पहले तो मैंने यह बात नजरंदाज की। क्योंकि मेरे घरवालों को इन सब मामलो में मेरा बोलना पसंद नहीं है। इतना झगड़ा देख कर मैं खुद को रोक नहीं पाई और मैं उसके घर पर पहुँच गई।
वहाँ पर चार-पाँच लड़के उसे बहुत बुरी तरह से मार रहे थे। मुझे उस पर दया भी आ रही थी और गुस्सा भी आ रहा था। फिर भी मैं उसकी माँ के पास गई और बोली, सब मिलकर आपके बेटे को मार रहे हैं।
आप जाकर उनको रोकिए, न!
उसकी माँ का जबाब सुनकर मैं दंग रह गई, जब वो बोली कि उसको भूत आता है, इसका यही इलाज है।
यह बात सुनकर मैं घर तो आ गई। लेकिन मेरा मन नहीं मान रहा था। कुछ देर में उन लड़को को किसी ने हटा दिया।
थोड़ी देर बाद वो सब मेरे घर के सामने, पेड़ से बांध कर उस लड़के को मरने लगे।, काफ़ी भीड़ इकट्ठा हो गयी। सब तमाशा देख रहे थे, अब मुझसे रहा नहीं गया।
मैंने उनसे कहा कि ये सब गलत है। किसी को इस तरह से मारना सही नहीं है। अमानवीय भी है। सब कहने लगे कि मर्दों के बीच में किसी औरत को नहीं बोलना चाहिए।
तब मैंने सोचा कि औरत और मर्द की परिभाषा अभी समझाती हूँ। मैंने अपना शस्त्र निकाला और मोबाइल से सबका वीडियो बनाने लगी।
जब सबकी नजर मुझ पर गई तो बोले, ये गलत है। तब मैंने उन्हें कहा कि ये जो आपलोग कर रहे हैं, क्या यह सही है?
कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज होती है। अगर इस बच्चे को भूत पकड़ा है तो ओझा के पास ले जाइए, और अगर ये मानसिक तनाव में है तो डॉक्टर से इलाज करवाएं।
लड़ाई-झगड़ा इसका समाधान नहीं है। आप सब जितने लोग यहाँ तमाशा देख रहे हैं, सभी फँस जायेंगें।
मैंने उसकी माँ को भी बहुत सुनाया। कैसी माँ है खड़े होकर देख रही है? अगर ये सब बंद नहीं किए तो ये video viral कर दूँगी।
मेरे घर में सब मुझे बहुत डांटने लगे, मैं बोली चुप रहिए।
हाँ, मैं बोलूँगी।
क्या कर लेंगे सब देखती हूँ कि कौन क्या कर लेता है।?
मेरे सामने गलत होगा तो मैं बोलूंगी ही, जो होगा देखा जायेगा। सबको लगा अब ये किसी की नहीं सुनेगी बेकार ही है बोलना। उसके बाद मेरे जेठजी ने आकर उस लड़के की रस्सी खोल दी और उसकी माँ को बोले कि ले जाइए इसको नहला कर सुला दीजिए।
जब ये सामान्य हो जाए तो डॉक्टर से दिखा दीजिए। फिर धीरे-धीरे सब अपने अपने घर चले गए और मेरे घर कुछ लोग गुस्से में थे, तो कुछ लोग खुश थे।
मेरा बेटा मेरे कंधे पर हाथ रख कर और हँस कर बोला मम्मी “voice and choice for every woman” मैं भी हँस कर उसके गले लग गई।
रक्षिता सिन्हा
बैच- 10,मुंगेर
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