परिवार की जिम्मेदारियों को संभालना और खुद में बदलाव लाना
i-सक्षम से जुड़ने के बाद मेरी जिंदगी में जो बदलाव आए, उन्हें मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकती। यह सफर न केवल मेरे व्यक्तित्व को निखारने का रहा है, बल्कि मुझे आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने का भी रहा है।
शुरुआत और बदलाव की ओर पहला कदम
डेढ़ साल पहले, जब मैंने i-सक्षम से जुड़ने का फैसला किया, तब मैं एक साधारण लड़की थी, जो घर और स्कूल की चारदीवारी तक सीमित थी। मुझे यह भी नहीं पता था कि किसी के साथ बातचीत कैसे की जाती है। धीरे-धीरे मैंने सीखा कि कैसे किसी से संवाद करना है, अपनी बातों को आत्मविश्वास के साथ रखना है और दूसरों की मदद के लिए आगे आना है।
पहले मैं अपने ही जिले, बेगूसराय, जाने से डरती थी। अगर कहीं जाना होता था, तो मां या भाई का साथ जरूरी था। लेकिन i-सक्षम ने मुझे वह आत्मविश्वास दिया, जो मुझे अपनी सीमाओं को पार करने में मदद करता है। आज मैं अकेले दिल्ली जैसे बड़े शहर में चार बार आ-जा चुकी हूं। यह अनुभव मेरे लिए किसी सपने से कम नहीं था।
मेरे भाई और पापा बाहर जॉब(Job) करते हैं। जिसके वजह से घर पर नहीं रहते हैं। जो काम लोगों के घरों में पापा या भाई करते हैं, वो सब
मैंने किया है, जैसे कि राशन कार्ड में नाम जुड़ना, ब्लॉक जाना, हिसाब-किताब और खेतों के कामकाज तक, हर जिम्मेदारी निभाई। जब पापा और भाई कहते हैं, "तुम हमारा दायां हाथ हो," तो मेरा दिल गर्व से भर जाता है।
स्कूल में बदलाव
मैंने अपने घर के साथ-साथ स्कूल में भी बदलाव लाने की कोशिश की। मैंने बच्चों को साफ कपड़े पहनकर आने, बैग चेक करके लाने, बाल अच्छे से बांधने और रोज़ चप्पल पहनने जैसी आदतें सिखाईं। मैंने उन्हें सिखाया कि कचरा कूड़ेदान में डालें और एक-दूसरे की मदद करें। आज, जब मैं स्कूल नहीं जाती, तो भी वहां वही अनुशासन और आदतें देखने को मिलती हैं, जो मैंने वहां विकसित की थीं। शिक्षक के साथ जुड़ पाए एक-दुसरे पे विश्वास करना।
चुनौतियों का सामना
इस सफर में मुझे कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। अकेले कहीं जाने का डर मुझे हमेशा सताता था। मैं बहुत दूर तक पैदल चल जाती, लेकिन उस गाड़ी में कभी नहीं बैठती, जिसमें महिलाएं नहीं होतीं। धीरे-धीरे मैंने अपने डर को हराना सीखा। स्कूल में भी, जब मैंने बदलाव का कोई कदम उठाया, तो हेडमास्टर सर कई बार रोक देते थे। लेकिन मेरे काम को देखकर उन्होंने भी मुझ पर भरोसा करना शुरू कर दिया।
आत्मनिर्भरता और गर्व
आज मैं जो कुछ भी कर रही हूं, वह न केवल मेरे लिए, बल्कि मेरे परिवार, गांव और स्कूल के लिए भी गर्व का विषय है। i-सक्षम ने मुझे वह सशक्त पहचान दी, जो हर लड़की का सपना होती है। अब मुझे लगता है कि कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती, बस हमें अपनी सोच और आत्मविश्वास को मजबूत रखना होता है।
अंशु
बैच-9, बेगूसराय