नमस्ते साथियों,
मैंने अपने क्लस्टर वर्क के रूप में पिछले महीने एक गोल तैयार किया था। गोल था कि पुस्तकालय के लिए एक निश्चित जगह का चयन करना। इस कार्य की पूर्ती के लिए मैंने ITC की एक दीदी से बात की।
समस्या यह थी कि मेरे विद्यालय में दो कक्ष बहुत खराब स्थिति में होने के कारण खली पड़े थे। उपाय था कि या तो कोई उनकी मरम्मत करवाए या नींव से दोबारा बनवाए। तो मैंने सोचा कि एक-दो जगह मरम्मत करने के सम्बन्ध में याचिका की जाए। इसी कारण मैंने ITC की वर्षा दीदी और आंगनवाडी (केंद्र संख्या 40) की सेविका मनीषा कुमारी जी से संपर्क साधा।
सेविका दीदी ने तुरंत मेरी बात को सुना और उस पर अपनी ओर से जरुरी कार्यवाही की। मैं इतना जानती थी कि ITC के लोग नजदीकी विद्यालय और आंगनवाडी की बात जल्दी सुनेगें।
मैंने शाम में सेविका दीदी के साथ विलकर ITC की वर्षा दीदी से बात की। अगले ही दिन वो हमारे विद्यालय में तस्वीरें लेने आ गयीं।
मुझे तो वास्तव में विश्वास ही नहीं हो रहा था कि इतना जल्दी कोई कैसे कार्यवाही कर सकता है!
परन्तु यह हो रहा था और मेरी आँखों के सामने हो रहा था।
विद्यालय से घर लौटी तो ITC के दो सदस्य मेरे घर के सामने आकर मुझे कॉल करके बुला रहे थे। उनको विद्यालय जाकर मेज़रमेंट लेने के निर्देश दिये गए थे। तो मैंने जल्दी से उन्हें विद्यालय लेकर गयी। उन्होंने दोनों कमरों का मेज़रमेंट लिया।
मेरी ख़ुशी का ठिकाना तब नहीं रहा जब उन्होंने मुझसे पूछा कि बाथरूम किधर बनवाना है? उसका गेट किस तरफ होना चाहिए और बेक (back) किस तरफ होगा?
सेविका दीदी अपने काम में व्यस्त थी तो मैंने ही उन्हें सभी जरुरी प्रश्नों के उत्तर दिए।
मुझे उम्मीद है कि मेरा प्रयास और इतनी जल्दी की गयी कार्यवाही जरुर रंग लाएगी। मुझे अपने गोल की इस प्रोग्रेस को आपके साथ साझा करते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है।
रश्मि रानी
बैच- 9, मुंगेर
No comments:
Post a Comment