जब मैं मार्च में CIMP का कोर्स कर रही थी तो प्रत्येक सेशन में कुछ नया सीखने को मिल रहा था। हमारे प्रोफेसर ___________ हमारे सेशंस ऑनलाइन ही लेते थे। हमारी संस्था के अन्य छः साथी भी इस कोर्स को कर रहे थे। जिनके नाम इस प्रकार हैं- रश्मि, निखत, नेहा, प्रियंका, सरिता और शिवानी।
लेकिन पहली बार कोर्स के दौरान ऐसा हुआ कि हमारा दो दिन (5-6 अप्रैल) का सेशन मुज़फ्फरपुर में ऑफलाइन रखा गया। इस सेशन को अटेंड करने के लिए हम सभी एडु-लीडर्स को खुद से ट्रेन की टिकट बनवा कर खुद ही जाना था। मुझे तो छ: साथी होते हुए भी ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे मुझे अकेले भेजा जा रहा हो! क्योंकि हम सभी पहली बार ट्रेन से जाने वाले थे। हमारे साथ कोई बडी और मेंटर नहीं जा रहे थे। मुझे मन में डर भी लग रहा था कि हम छः लड़कियां (अकेले) यात्रा कैसे करेंगीं।
परन्तु मैंने किसी तरह लम्बी सांस लेकर, आगे बढ़ने का निश्चय किया।
सबसे पहले मुझे मेरे एक साथी द्वारा टिकट बनाने का काम दिया गया। हमने तय किया कि एक ही आई-डी से छ: टिकट बनायीं जाएँ तो हमें सीट आसपास मिलने की सम्भावना प्रबल होगी। हम थोडा सहजता से जा पायेंगें।
इस कार्य को करने में नम्रता दीदी और अमन भैया ने मेरी बहुत मदद की। मुझे टिकट बुक करने वाली एप्लीकेशन का नाम बताया और प्रोसेस के बारे में जानकारी दी।
मैंने अपने परिवारजनों से भी मदद ली। फिर अपना और अपने पाँचों साथियों का टिकट एक साथ बुक किया। इस कार्य करने में जब मैं सफल हुई तो मेरा मनोबल बढ़ा और मुझ में इस यात्रा को करने के लिए और भी आत्मविश्वास जागा।
रश्मि
बैच-9, मुंगेर
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