Monday, May 13, 2024

नाज़िया और खुशबू का कम्युनिटी बोंड (bond)

मैं अपने क्लस्टर के काम को करने के लिए सप्ताह में दो दिन अपने समुदाय में जाती हूँ। जिसमें औरतों को हस्ताक्षर करना,लड़कियों को पढ़ाई से जोड़ना, बच्चों को स्कूल से जोड़ना, स्कूल में PTM करवाना और इसके अलावा भी अनेक कार्यों को करती हूँ। 

इन कार्यों को करने के दौरान मैंने कम्युनिटी को नज़दीकी से जाना जैसे लड़कियों के मनोभाव क्या हैं, समाज को किन कौशलों की आवश्यकता है जिससे लोग स्वयं को सक्षम समझे आदि। ये सभी अनुभव मेरे लिए भी नए थे।

A close up of a child

Description automatically generated

इस बार मैं आपके साथ ऐसे ही एक अनूठे अनुभव को आपके साथ साझा करना चाहती हूँ। मेरी कम्युनिटी में एक ‘नाज़िया’ नाम की बच्ची रहती है। जब भी मैं फील्ड विजिट पर जाती थी तो नाज़िया मुझे बड़े ध्यान से देखती रहती थी। एक दिन मैंने उसे पास बुलाया और थोड़ी बात की। 

वहाँ के लोग कहने लगे कि ये तो किसी के पास नहीं जाती है। फिर जब-जब मैं फील्ड वर्क के लिए कम्युनिटी में निकलती थी तो उससे दो मिनट बात जरुर करती थी। हम दोनों का एक-दूसरे के प्रति लगाव बढ़ने लगा। आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि नाज़िया मात्र दो वर्ष की ही है। मुझे भी नाज़िया से मिलना अच्छा लगने लगा। 

एक दिन मैं नाज़िया को अपने घर भी लायी थी। शाम तक उसे अपने घर में रखा। वो बिलकुल नहीं रोयी। एक-बार भी उसने अपने मम्मी-पापा को याद नहीं किया। 

सच कहूँ तो मुझे भी नाज़िया से बहुत लगाव हो गया है। मैं जब भी कम्युनिटी जाती हूँ, उससे जरुर मिलती हूँ।

खुशबू

बैच-9, मुंगेर                                                                                                                                                 


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