मैं अपने अन्दर हुए Voice & Choice के कारण आये बदलाव का एक अनुभव साझा कर रही हूँ। मुझे फ़ेलोशिप करते हुए डेढ़ वर्ष हो गया है और इस फ़ेलोशिप में मुझे मेरे अन्दर बहुत सारे बदलाव आते दिखें हैं। मेरे अन्दर बदलाव आ रहें हैं और मैं इन्हें पहचान पा रही हूँ यह भी एक बदलाव है।
मैं कुछ दिन पहले मेरे और परिवार के बीच हुई बात का एक संक्षेप वर्णन आपके साथ साझा कर रही हूँ। पहले तो मैंने अपनी माँ से Voice & Choice पर बात की। और कुछ दिन लगातार इस पर बात करने से वो इस कांसेप्ट को भी समझ गयी। मेरे परिवार को किसी कारणवश बाहर जाना था और मेरी परीक्षा और सेशन भी उन्ही दिनों में प्रस्तावित था। मेरी माँ एक महीने से मुझसे बोल रही थी कि तुम भी चलना साथ। तुम्हें यहाँ अकेले नहीं छोड़ कर जा सकते।
मैंने भी लगभग एक महीने तक अपनी माँ और 3-Cs की सहायता से ये बताने की पूरी कोशिश की कि मेरे लिए परीक्षा और सेशन ज्यादा महत्वपूर्ण है।
पढ़ने में यह बात सरल लग रही हो सकती है परन्तु एक महीने तक लगातार एक ही टॉपिक पर अपने अभिभावकों को समझाना मेरे लिए बहुत कठिन था। हर रोज़ कोई नया बहाना या कोई नयी बात बीच में लाकर मेरी आवाज़ को अनदेखा किया जा रहा था। मैं फिर भी हार नहीं मान रही थी।
मैं खुद को भी समझा रही थी कि पहले तो चलो मेरे पास शब्द नहीं होते थे। मुझे अपनी बात व्यक्त करना नहीं आता था। परन्तु आज मैं वो लड़की हूँ जिसके पास बहुत शब्द है अब अपनी आवाज को रखने के लिए। अब मैं पीछे नहीं रह सकती।
आज मेरा पूरा परिवार मेरी आवाज की महत्ता समझकर मुझे मेरे कार्य के लिए छोड़ कर अपने उद्देश्यपूर्ति के लिए निकले। यह तब मुमकिन हो पाया जब मैं पहले खुद से लड़ी और फिर 3Cs की मदद से अपने परिवार को समझाया।
मेरे लिए यह चुनौती आसान नहीं थी। परन्तु इसके कारण मेरा हौसला दुगुना हो चुका है। आज मैं, ना सिर्फ अपने, बल्कि अपने परिवारजन के लिए भी voice & choice के प्रति सोचने का माध्यम बन रही हूँ।
रश्मि
बैच-9, मुंगेर
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