i-Saksham
Friday, April 4, 2025
"मैं बदल गई हूँ!"
Tuesday, March 18, 2025
"सीता की आत्मनिर्भरता की कहानी"
उसने न केवल अपने आत्मविश्वास में बल्कि अपने लक्ष्य में भी स्पष्टता पाई। अब वह B.Ed करके शिक्षिका बनने का सपना देख रही थी, ताकि वह दूसरों को भी सशक्त बना सके।
हलीमपुर गाँव की पहली झलक
जैसे ही हम उस गाँव में पहुँचे, वहाँ की कई चीज़ों ने मेरा मन मोह लिया—मिट्टी के घरों पर बनी सुंदर पेंटिंग, पुराने जमाने में उपयोग होने वाली चीज़ें, खेतों के बीच से गुजरती कच्ची-पक्की सड़कें, और हर ओर फैली हरियाली। गाँव का यह सरल, पर मनमोहक दृश्य मुझे बहुत आकर्षित कर रहा था।
एडु लीडर, शिवम की माँ से उनकी पढ़ाई को लेकर बात कर रही थीं। उसी दौरान, उनकी दादी, कमला देवी जी, मुझसे बहुत आत्मीयता से बातचीत करने लगीं। उन्होंने मुझसे पूछा—
"बेटी, तुम कहाँ से आई हो?" "तुम्हारा नाम क्या है?" "तुम क्या करती हो, क्या पढ़ाई कर रही हो?"
उनका बात करने का आत्मीय अंदाज मुझे बहुत अच्छा लगा। बातचीत के दौरान, उन्होंने अपने पोते की पढ़ाई को लेकर अपनी इच्छाएँ और विचार साझा किए, जिससे उनकी शिक्षा के प्रति जागरूकता स्पष्ट झलक रही थी।
उन्होंने आगे बताया कि उनका सरकारी शिक्षिका के पद पर चयन भी हो गया था, लेकिन उनके पति ने उन्हें नौकरी करने की अनुमति नहीं दी, क्योंकि उस समय घर की बहूओं का बाहर जाकर काम करना समाज में स्वीकार्य नहीं था। हालाँकि, उन्होंने अपने बच्चों और बहू की पढ़ाई को हमेशा प्राथमिकता दी।
उनकी बहू ने शादी के बाद स्नातक पूरा किया और बिहार पुलिस तथा एसएससी की परीक्षाओं के लिए आवेदन भी किया, लेकिन सफल नहीं हो सकीं। इसके बाद, पारिवारिक जिम्मेदारियों में व्यस्त होने के कारण उनकी पढ़ाई छूट गई।
शिक्षा के प्रति जागरूकता और आत्मनिर्भरता
उनकी सोच, शिक्षा के प्रति जागरूकता, आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास ने मुझे बहुत प्रभावित किया। बातचीत के अंत में, उन्होंने मुझसे कहा—
जो सुनकर मेरे मन में उनके प्रति और भी सम्मान बढ़ गया।
जब हम वहाँ से जाने लगे, तो उन्होंने प्यार भरे शब्दों में कहा—
"बेटी, फिर जरूर आइएगा,"
स्मृति कुमारी
बड़ी इंटर्न, मुंगेर
Saturday, February 1, 2025
दो वर्षों का सीखने और बदलने का सफर: मौसम की प्रेरणादायक कहानी
i-सक्षम की सीख:- i-सक्षम में जो भी नियम और प्रक्रियाएँ हैं, उन्होंने मुझे जीवन के महत्वपूर्ण सबक सिखाए हैं। मंथली बॉडी टॉक के दौरान हम अपनी परेशानियाँ साझा करते हैं और बॉडी हमें उन चुनौतियों से निपटने के लिए प्रेरित करती है। इस प्रक्रिया से मुझे अपनी कमजोरियों और खूबियों का पता चला।
मंथ में होने वाले सेशन्स ने मुझे यह सिखाया कि हिंसा के खिलाफ आवाज उठाना और अपनी पहचान बनाना कितना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा क्लस्टर मीटिंग्स के माध्यम से हमने एक-दूसरे से विचार साझा किए और कम्युनिटी में आने वाली चुनौतियों का समाधान पाया।Friday, January 31, 2025
मेरा बदलाव और सफलता की यात्रा: खुशबू की कहानी
स्कूल में भी जब हेडमास्टर सर से बात करनी होती थी, तब डर लगता था। सोचती थी कि सर क्या कह देंगे और मैं क्या जवाब दूँगी। लेकिन अब यह डर खत्म हो गया है और मैं बेझिझक सर से बात कर पाती हूँ। अपने परिवार में भी अब मैं अपनी बात रख पाती हूँ। पहले जमुई जाना होता था तो बिना किसी घर के सदस्य के नहीं जा सकती थी। लेकिन अब अकेले जमुई जाना और लौट आना मेरे लिए सामान्य हो गया है, भले घर वाले सहमत न हों।
मैं आई-सक्षम का धन्यवाद करती हूँ जिसने मुझे यह मौका दिया और मेरे जीवन में यह बदलाव लाया।
खुशबू
बैच-11
जमुईशिक्षक का असली उद्देश्य: आरती दीदी की प्रेरणादायक कहानी
आरती दीदी ने उस महिला को न कवक जीवन की नई दिशा दी, बल्कि यह भी सिखाया की किसी भी उम्र में सिखने की प्रकिया समाप्त नहीं होती। यह प्रयास दिखाता है की शिक्षा का दायरा केवल बच्चो तक सिमित नहीं हैं, बल्कि यह जीवन के हर पहलू में व्याप्त है।
इस प्रयास से यह भी समझ आता है की एक छोटी सी मदद किसी के जीवन को सकारात्मक दिशा दे सकती है। आरती दीदी की यह प्रेरक कहानी हमें यद् दिलाती है की समाज में शिक्षक सिर्फ कक्षा तक ही सिमित नहीं रहती, बल्कि वे बदलाव लाने मार्गदर्शक भी होती हैं।
इस तरह के प्रयास हमें प्रेरणा देते हैं की हर व्यक्ति के पास समाज में बदलाव लाने की क्षमता होती है, बस जरूरत है हौसले और सही दृष्टिकोण की।
“हर मुश्किल के बाद सफलता की नई शुरुआत”
साक्षी ने पढ़ाई जारी रखी और संघर्ष करते हुए i-सक्षम जैसे संगठन से जुड़कर अपने जीवन में बदलाव लाने की कोशिश की।
यह कहानी हमें सिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी परिवार की एकजुटता, संघर्ष और कभी हार न मानने का साहस सफलता की कुंजी है। जीवन में चाहे कितनी भी मुश्किलें आएँ, हौसला और मेहनत से उन्हें पार किया जा सकता है।
साक्षी कुमारी
मुंगेर