फोटो क्रेडिट- आई सक्षम |
मैं स्मृति कुमारी बैच-9 की एडुलीडर हूं। मैं आज आप लोगों के साथ आज की कक्षा का अनुभव साझा करने जा रहीं हूं।
आज मेरे स्कूल में कक्षा अवलोकन के लिए रागिनी दी, अनुप्रिया दी और दीपा दी आई हुई थी। कक्षा अवलोकन के लिए जब दीदी ने बच्चों से पूछा कि उनकी फिलिंग क्या है? तब बच्चों ने उन्हें बताया कि वे उत्साहित हैं लेकिन कुछ बच्चे उदास थे। उनकी उदासी का कारण था कि रास्ते में आते वक्त उनकी साइकिल खराब हो गई थी।
इसके बाद जब मैंने एक दूसरे से उनकी पसंद की सब्जी का नाम पूछा, तब उन्होंने कुछ सब्जियों के नाम बताए फिर इसी को मोड़ते हुए मैंने बच्चों से सब्जियों के नाम पूछे और उन्हें पढ़ाया। आज मैंने अंग्रेजी में बच्चों को सब्जी का नाम पढ़ाया। कलात्मक तरह से बच्चों को समझाने के कारण बच्चे काफी बेहतर तरीके से समझ पा रहे थे। साथ ही हम दोनों के बीच संवाद भी बेहतर हो पा रहा था।
अनेक पहलूओं पर होता है विकास
एडुलीडर स्मृति जब बच्चों को शिक्षित करने के लिए निकलती हैं, तब केवल बच्चों के जीवन में नहीं बल्कि स्मृति के जीवन में भी कई बदलावों की शुरुआत होती है। जैसे- जब वे कक्षा की कमियों को देखते हुए, अपने तरीकों पर काम करती है, इससे उनके अंदर किसी समस्या को समाप्त करने एवं समस्या से जूझने की प्रवृत्ति विकसित होती है, जो उनके आने वाले जीवन के लिए एक सबक की तरह हो सकती है।
साथ ही उनका अपने घरों से निकलना अन्य लड़कियों के लिए प्रेरणा का काम करता है, जो स्वयं की पहचान बनाना चाहती हैं। बतौर एडुलीडर लोगों से मुलाकात करना, उनकी समस्याओं पर बात करना, अभिभावकों को सही-गलत की पहचान कराना एक अच्छे नेतृत्वकर्ता का विकास करता है, जो लोगों की बातों को सलीके से सुनकर उसके निदान की ओर अग्रसर होता है। वे जहां एक ओर अपनी पहचान बुलंद कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर वे आत्मविश्वास से निर्णय ले रही हैं। स्वच्छंद होकर निर्णय लेने की क्षमता उनके आने वाले जीवन में उन्हें सही गलत की परख करना सिखाएगा ताकि वे सही निर्णय ले सकें।
विद्यालयों में जाकर बच्चों को शिक्षित करना एवं शिक्षा के प्रति अभिभावकों समेत बच्चों को जागरुक करना, साफ-सफाई, नामांकन, लड़कियों की शिक्षा के महत्व को जन-जन तक पहुंचाना मात्र एक जरिया है, जो उन्हें कल के नेतृत्वकर्ता की तरह खड़ा करेगा।