एक छोटे से गांव (विकोपुर) की रहने वाली रिंकी, कठिन परिस्थितियों में भी अपनी उम्मीद और जज़्बे को बनाए रखने का उदाहरण हैं। रिंकी का जन्म एक निम्न वर्गीय परिवार में हुआ। वे तीन बहनों और दो भाइयों में सबसे छोटी थीं। रिंकी का बचपन सामान्य बच्चों की तरह शुरू हुआ, लेकिन पांचवीं कक्षा के बाद उनकी जिंदगी ने एक कठिन मोड़ लिया।
उनके चाचा की बेटी की शादी होने वाली थी, और उसी समय उनके चाचा ने सुझाव दिया कि रिंकी की भी शादी कर दी जाए। इस विचार ने रिंकी को झकझोर दिया। वह अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहती थीं और अपनी माँ के भाई (मामा) से मदद की विनती माँगी, बोली मामा मुझे अभी पढ़ाई करना है। मामा ने रिंकी की पढ़ाई के लिए रिंकी की घर में बातचीत किये लेकिन घर वाले नहीं माने तो, रिंकी के मामा खुद पे जिम्मेदारी उठाए और बोले मै रिंकी को अपने घर ले गए। इस तरह रिंकी की छठी कक्षा में नामांकन कराया और पढ़ाई जारी रखी।
रिंकी नौवीं कक्षा तक अपनी नानी के घर में पढ़ती रहीं। लेकिन उनके पिता की तबीयत खराब हो गई, जिससे उन्हें घर लौटना पड़ा। कुछ समय के लिए उनकी पढ़ाई रुक गई। परिवार की आर्थिक तंगी और कठिन हालातों के बावजूद, रिंकी ने हार नहीं मानी। दोबारा नानी के घर जाकर पढ़ाई शुरू की और 2020 में मैट्रिक परीक्षा पास कर ली।
इसके बाद, रिंकी की पढ़ाई आगे नहीं बढ़ सकी क्योंकि उनके पिता की तबीयत लगातार खराब रहती थी। परिवार की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई। अपनी छोटी बहन को पढ़ाई का मौका देने के लिए उन्होंने नानी के घर भेज दिया। रिंकी का गांव काफी दुर्गम क्षेत्र में है,जहां से स्कूल जाने के लिए 15 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। ऐसे कठिन हालात में भी, रिंकी ने खुद को शिक्षा के प्रति समर्पित रखा।
कुछ दिन बाद
रिंकी 2023 में i-सक्षम फेलोशिप बैच-10 कार्यक्रम से जुड़ी , उन्होंने अपने गांव में शिक्षा का अलख जगाने का बीड़ा उठाया है। रिंकी अपने समुदाय में भी काम किये हैं। कुछ दिन पहले रिंकी के गाँव में लडकियों की शादी नहीं हो पा रही थी क्योंकी लडकियों को नाम और अपना परिचय नहीं लिखने आता था। रिंकी अपने समुदाय में वैसे लडकियों को चुने जिन्हें अपना और अपना परिचय नहीं लिखने आता था। उसके बाद रिंकी उन लडकियों के साथ काम किये। वे 10 लड़कियों को अपना नाम और परिचय लिखना सिखा चुकी हैं। इन लड़कियों में से दो की शादी भी ठीक हो गई, क्योंकि वे अब खुद का परिचय लिखने में सक्षम थीं।
रिंकी का संघर्ष यहीं खत्म नहीं होता। अपने पिता की देखभाल, परिवार की जिम्मेदारियों और खेतों में काम करने के बावजूद, वे स्कूल जाती हैं और दूसरों को पढ़ाई के लिए प्रेरित करती हैं। वे उन लड़कियों के लिए एक प्रेरणा बन गई हैं, जो शिक्षा की रोशनी से अब तक दूर थीं।
रिंकी की कहानी हमें सिखाती है कि यदि हमारे अंदर कुछ कर दिखाने का जज्बा हो, तो कोई भी कठिनाई हमें आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती।
श्रृंखला कुमारी
बडी, गया