i-सक्षम की सीख:- i-सक्षम में जो भी नियम और प्रक्रियाएँ हैं, उन्होंने मुझे जीवन के महत्वपूर्ण सबक सिखाए हैं। मंथली बॉडी टॉक के दौरान हम अपनी परेशानियाँ साझा करते हैं और बॉडी हमें उन चुनौतियों से निपटने के लिए प्रेरित करती है। इस प्रक्रिया से मुझे अपनी कमजोरियों और खूबियों का पता चला।
मंथ में होने वाले सेशन्स ने मुझे यह सिखाया कि हिंसा के खिलाफ आवाज उठाना और अपनी पहचान बनाना कितना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा क्लस्टर मीटिंग्स के माध्यम से हमने एक-दूसरे से विचार साझा किए और कम्युनिटी में आने वाली चुनौतियों का समाधान पाया।Saturday, February 1, 2025
दो वर्षों का सीखने और बदलने का सफर: मौसम की प्रेरणादायक कहानी
Friday, January 31, 2025
मेरा बदलाव और सफलता की यात्रा: खुशबू की कहानी
स्कूल में भी जब हेडमास्टर सर से बात करनी होती थी, तब डर लगता था। सोचती थी कि सर क्या कह देंगे और मैं क्या जवाब दूँगी। लेकिन अब यह डर खत्म हो गया है और मैं बेझिझक सर से बात कर पाती हूँ। अपने परिवार में भी अब मैं अपनी बात रख पाती हूँ। पहले जमुई जाना होता था तो बिना किसी घर के सदस्य के नहीं जा सकती थी। लेकिन अब अकेले जमुई जाना और लौट आना मेरे लिए सामान्य हो गया है, भले घर वाले सहमत न हों।
मैं आई-सक्षम का धन्यवाद करती हूँ जिसने मुझे यह मौका दिया और मेरे जीवन में यह बदलाव लाया।
खुशबू
बैच-11
जमुईशिक्षक का असली उद्देश्य: आरती दीदी की प्रेरणादायक कहानी
आरती दीदी ने उस महिला को न कवक जीवन की नई दिशा दी, बल्कि यह भी सिखाया की किसी भी उम्र में सिखने की प्रकिया समाप्त नहीं होती। यह प्रयास दिखाता है की शिक्षा का दायरा केवल बच्चो तक सिमित नहीं हैं, बल्कि यह जीवन के हर पहलू में व्याप्त है।
इस प्रयास से यह भी समझ आता है की एक छोटी सी मदद किसी के जीवन को सकारात्मक दिशा दे सकती है। आरती दीदी की यह प्रेरक कहानी हमें यद् दिलाती है की समाज में शिक्षक सिर्फ कक्षा तक ही सिमित नहीं रहती, बल्कि वे बदलाव लाने मार्गदर्शक भी होती हैं।
इस तरह के प्रयास हमें प्रेरणा देते हैं की हर व्यक्ति के पास समाज में बदलाव लाने की क्षमता होती है, बस जरूरत है हौसले और सही दृष्टिकोण की।
“हर मुश्किल के बाद सफलता की नई शुरुआत”
साक्षी ने पढ़ाई जारी रखी और संघर्ष करते हुए i-सक्षम जैसे संगठन से जुड़कर अपने जीवन में बदलाव लाने की कोशिश की।
यह कहानी हमें सिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी परिवार की एकजुटता, संघर्ष और कभी हार न मानने का साहस सफलता की कुंजी है। जीवन में चाहे कितनी भी मुश्किलें आएँ, हौसला और मेहनत से उन्हें पार किया जा सकता है।
साक्षी कुमारी
मुंगेर
Wednesday, January 29, 2025
i-सक्षम से जुड़ने के बाद जीवन में आए बदलाव
बहार जाने का आत्मविश्वास
सपनो की पहचान की यात्रा
पहले मुझे लगता था की घर और बच्चा ही जीवन के केंद्रे हैं। लेकिन जब मै i-सक्षम से जुडी, तो मुझे एहसास हुआ की खुद के भी सपना होते हैं। जिन्हें पूरा कर सकते हैं।
आत्मविश्वास और बातचीत में सुधार
शिक्षा के लिए वॉइस एंड चॉइस का उपयोग
क्लस्टर मीटिंग का अनुभव
जब मै पहली बार क्लस्टर मीटिंग में गई। तो मुझे आजादी का अनुभव हुआ। मुझे हर महीने के आखिरी गुरुवार का विश्ववारी इंतज़ार रहता है, क्युकी वहां की खुली हवाएं और ऊँचे-ऊँचे पहाड़ मुझे प्रेरणा देते हैं।
समाज के प्रति जागरूकता
निर्णय लेने की क्षमता
जुली कुमारी
बैच-11
जमुई
अपनी आवाज़ को अपनाई और पहचान बनाई : रंगीला
एक छोटे से गाँव मुहमदपुर की i-सक्षम में बैच-10 की एडू-लीडर रंगीला हैं। जो खुद में और अपने समुदाय में सकारत्मक प्रभाव छोड़ रही है। उनका आत्मविश्वास बढ़ना, अपने आवाज को अपनाना और दूसरों के साथ स्नेहपूर्ण संबंध बनाना सच में एक बड़ी उपलब्धि है।
महिलाओं को जागरूक करने की पहल
रंगीला ने अपने समुदाय में जाकर महिलाओं को मासिक धर्म में स्वच्छता से जुड़ी जरूरी जानकारी प्रदान की।
उन्होंने लगभग 10 महिलाओं से मिलकर इस विषय पर गहरी बातचीत की। इसके अलावा, वह अपनी स्थानीय समुदाय की दो महिलाओं को हस्ताक्षर सिखाने में भी मदद की। यह उनको दृष्टिकोण को दर्शाता है जिसमें एक सशक्त लीडर केवल ज्ञान बांटने तक समित नहीं रहता, बल्कि अपने जीवन के संघर्ष और व्यक्तिगत गुणों से भी लोगों को प्रेरित करता है।चुनौतियों का सामना और प्रेरणा
राधा, बड़ी
मुजफ्फरपुरशिक्षा से बदली दो लड़कियों की जिंदगी
एक छोटे से गांव (विकोपुर) की रहने वाली रिंकी, कठिन परिस्थितियों में भी अपनी उम्मीद और जज़्बे को बनाए रखने का उदाहरण हैं। रिंकी का जन्म एक निम्न वर्गीय परिवार में हुआ। वे तीन बहनों और दो भाइयों में सबसे छोटी थीं। रिंकी का बचपन सामान्य बच्चों की तरह शुरू हुआ, लेकिन पांचवीं कक्षा के बाद उनकी जिंदगी ने एक कठिन मोड़ लिया।
उनके चाचा की बेटी की शादी होने वाली थी, और उसी समय उनके चाचा ने सुझाव दिया कि रिंकी की भी शादी कर दी जाए। इस विचार ने रिंकी को झकझोर दिया। वह अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहती थीं और अपनी माँ के भाई (मामा) से मदद की विनती माँगी, बोली मामा मुझे अभी पढ़ाई करना है। मामा ने रिंकी की पढ़ाई के लिए रिंकी की घर में बातचीत किये लेकिन घर वाले नहीं माने तो, रिंकी के मामा खुद पे जिम्मेदारी उठाए और बोले मै रिंकी को अपने घर ले गए। इस तरह रिंकी की छठी कक्षा में नामांकन कराया और पढ़ाई जारी रखी।
रिंकी नौवीं कक्षा तक अपनी नानी के घर में पढ़ती रहीं। लेकिन उनके पिता की तबीयत खराब हो गई, जिससे उन्हें घर लौटना पड़ा। कुछ समय के लिए उनकी पढ़ाई रुक गई। परिवार की आर्थिक तंगी और कठिन हालातों के बावजूद, रिंकी ने हार नहीं मानी। दोबारा नानी के घर जाकर पढ़ाई शुरू की और 2020 में मैट्रिक परीक्षा पास कर ली।
इसके बाद, रिंकी की पढ़ाई आगे नहीं बढ़ सकी क्योंकि उनके पिता की तबीयत लगातार खराब रहती थी। परिवार की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई। अपनी छोटी बहन को पढ़ाई का मौका देने के लिए उन्होंने नानी के घर भेज दिया। रिंकी का गांव काफी दुर्गम क्षेत्र में है,जहां से स्कूल जाने के लिए 15 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। ऐसे कठिन हालात में भी, रिंकी ने खुद को शिक्षा के प्रति समर्पित रखा।
कुछ दिन बाद
रिंकी 2023 में i-सक्षम फेलोशिप बैच-10 कार्यक्रम से जुड़ी , उन्होंने अपने गांव में शिक्षा का अलख जगाने का बीड़ा उठाया है। रिंकी अपने समुदाय में भी काम किये हैं। कुछ दिन पहले रिंकी के गाँव में लडकियों की शादी नहीं हो पा रही थी क्योंकी लडकियों को नाम और अपना परिचय नहीं लिखने आता था। रिंकी अपने समुदाय में वैसे लडकियों को चुने जिन्हें अपना और अपना परिचय नहीं लिखने आता था। उसके बाद रिंकी उन लडकियों के साथ काम किये। वे 10 लड़कियों को अपना नाम और परिचय लिखना सिखा चुकी हैं। इन लड़कियों में से दो की शादी भी ठीक हो गई, क्योंकि वे अब खुद का परिचय लिखने में सक्षम थीं।
रिंकी का संघर्ष यहीं खत्म नहीं होता। अपने पिता की देखभाल, परिवार की जिम्मेदारियों और खेतों में काम करने के बावजूद, वे स्कूल जाती हैं और दूसरों को पढ़ाई के लिए प्रेरित करती हैं। वे उन लड़कियों के लिए एक प्रेरणा बन गई हैं, जो शिक्षा की रोशनी से अब तक दूर थीं।
रिंकी की कहानी हमें सिखाती है कि यदि हमारे अंदर कुछ कर दिखाने का जज्बा हो, तो कोई भी कठिनाई हमें आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती।
श्रृंखला कुमारी
बडी, गया
Tuesday, January 28, 2025
शादी के बाद शिक्षा की जरूरत पर सवाल
आज मैं अपनी चाची के लिए "वॉइस एंड चॉइस" का उपयोग कर उनके प्रेरणादायक अनुभव को साझा करना चाहती हूँ। यह कहानी एक ऐसे सपने की है, जिसे समाज ने नामुमकिन बना दिया था, लेकिन चाची की लगन और हमारे प्रयासों ने इसे हकीकत में बदल दिया।
जब मैंने उनके मन में छिपी इस इच्छा को देखा, तो मैंने ठान लिया कि उनकी पढ़ाई को लेकर मैं उनका साथ दूँगी। मैंने उन्हें समझाया, "पहले आप अपने पति से बात करें और अपनी पढ़ाई की इच्छा जाहिर करें। यह आपका अधिकार है।"
शुरुआत में यह सफर चाची के लिए आसान नहीं था। घर के कामों और पढ़ाई के बीच तालमेल बैठाना एक बड़ा संघर्ष था। लेकिन उनकी मेहनत और जज़्बे ने हर मुश्किल को आसान बना दिया।
बैच 10
मुंगेर