Friday, March 10, 2023

सीमाः अभिभावकों को राजी करने में लगा काफी वक्त, चार बच्चियों का हुआ नामांकन

बिहार के गया जिले की रहने वाली सीमा ने अपना अनुभव साझा किया है, जिसमें उन्होंने बताया है कि जब बुनियादी सुविधाएं ना हो, अभिभावकों के अंदर शिक्षा को लेकर जागरुकता का अभाव हो, तब बच्चियों का नामांकन कराना किसी चुनौती से कम नहीं होता। कई बार उन्हें मनाने में ही पूरा दिन निकल जाता है और नतीजा शून्य ही रहता है मगर इतनी विषम परिस्थितियों के बावजूद भी एडु-लीडर्स के कदम नहीं रुकते। 

                      

“दिनांक 31/1/2023 को बड़की सांव का मलरवाडीह टोला में चार अनामांकित बच्चियों का नामांकन करवाया गया। नामांकन करवाने में अनेकों प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा क्योंकि जिन बच्चियां का नामांकन करवाना था, उनका घर एक-दूसरे से एवं स्कूल से भी काफी दूरी था। 


यही कारण था कि जब दो अभिभावकों को समझाकर तैयार करते इतने में दूसरे अभिभावक कोई-ना-कोई बहाना बना देते। दिनभर लगभग अभिभावकों को मनाने का ही सिलसिला चलते रह गया फिर भी मैं हार नहीं मानने वाली थी क्योंकि मेरा काम बच्चियों को स्कूल से जोड़ना है।” 


अंत में तैयार हुए अभिभावक 


“मेरा मानना है कि ऐसी कठिनाइयां तो हरेक मोड़ पर आते रहेंगी इसलिए जीवन में सफलता पाने के लिए हरेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, तभी आगे चलकर सफलता का मार्ग प्राप्त होता है। इस प्रकार अभिभावकों को प्रत्येक दिन स्कूल जाने वाली बच्चियों के बारे में कुछ जानकारी दी और उन्हें शिक्षा के महत्व को बताया, जिस कारण धीरे-धीरे अभिभावकों में कुछ सुधार हुआ। यही कारण था कि अभिभावक अपने बच्चों का नामांकन करवाने के लिए तैयार हो गए और हमारे साथ अपने बच्चों को ले्कर स्कूल में आएं। 


इसके बाद मैं टीचर से बात कर नामांकन करवाया गया। अभिभावकों ने भी अपने हस्ताक्षर किए। इस प्रकार अनेक मुसीबतों का सामना करते हुए आखिरकार चार बच्चियों ने अपने कदम स्कूल में रखे। इन बच्चियों का नाम इस प्रकार है- 1. सम्पत कुमारी 2. प्रियंका कुमारी 3. चांदनी कुमारी 4.सुनैना कुमारी। 


आज जहां कोरोना के बाद से लड़कियों की शिक्षा में भारी गिरावट दर्ज हुई थी, तो वहीं अभिभावकों की लापरवाही ने इस आंकड़े को और बढ़ा दिया। Unified District Information System for Education (UDISE) Plus 2021-22 रिपोर्ट के अनुसार ड्रापऑउट रेट में भारी बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में लड़कियों का नामांकन कराना वाकई एक चुनौतीपूर्ण काम है लेकिन शिक्षा के अधिकार से किसी व्यक्ति को वंचित करना भी गलत है इसलिए मैं अपनी मेहनत करती रहूंगी ताकि हर एक बच्ची पढ़ सके और आगे बढ़ सके।” 


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