Tuesday, March 28, 2023

जब पीटीएम के लिए अभिभावकों ने जुटाए लोग



अपने पीटीएम के अनुभवों को कलमबद्ध करते हुए हमारी एडुलीडर ने अपना एक अनुभव साझा किया है। इस अनुभव के जरिए उन्होंने बताने का प्रयास किया है कि अभिभावक किस प्रकार अपने बच्चों की शिक्षा के प्रति जागरूक हो रहे हैं। 

मैं प्रियंका कुमारी, बैच 9 की एडुलीडर हूं। आज मैं पीटीएम का अनुभव साझा कर रही हूं। आज मेरे स्कूल में पीटीएम था। जैसे की सभी जान रहे हैं कि अभी काम का समय है, तो सभी अभिवावक अपने अपने काम करने के लिए चले जाते हैं। 

ऐसे में मुझे बहुत ज्यादा मुश्किल हुई। सभी आभिवावकों को पीटीएम में स्कूल लाना। इसके लिए हम दोनों एडुलीडर सभी के घर-घर जाकर सभी को बुलाना पड़ा लेकिन कोई अभिभावक नहीं आए। अब ऐसे में हम बहुत उदास हो गए। 

सभी शिक्षक हम पर हंस रहे थे। वे सब बोलने लगे कि अभी काम का समय है इसलिए कोई नहीं आयेंगे। मैंने देखा कि एक अभिवासक आए और उन्हें भी 30 मिनट तक सभी का इंतजार करना पड़ा। कुछ देर के बाद उन्होंने कहा, "हर महीने पीटीएम करने की क्या जरूरत है? इससे क्या होता है? तुम मुझे बताओगी?" 

उनके इस सवाल पर मैंने उन्हें पीटीएम की जानकारी दी। जैसे बच्चों के स्कूल आने के बारे में जानकारी देना, उनके पढ़ाई से संबंधित जानकारी देना, बच्चों , अभिभावक और शिक्षक के बीच की दूरी को कम करना। मेरे इतना कहने के बाद उन्होंने कहा, "हमारे बच्चे के लिए तुम सब इतना करती हो और हम एक घंटा नहीं रहेंगे? हम जरूर रहेंगे।" इसके बाद उन्होंने कहा, "रुको हम सबको बुलाते हैं और देखते हैं कि कैसे सब नहीं आयेंगे।"

इसके बाद उन अभिभावक ने 8 महिला और 2 पुरुष को बुलाकर ले आए और फिर पीटीएम शुरू हुआ। मैंने उन्हें दिल से शुक्रिया कहा कि उन्होंने पीटीएम के लिए मेरी इतनी मदद की। 


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