Tuesday, March 14, 2023

एडुलीडर शालू के प्रयासों से सामने आई समस्याएं, अब वे कर रही हैं समाधान की पहल

फोटो क्रेडिट- आई-सक्षम


बैच-9 की एडु-लीडर शालू ने अपना अनुभव साझा किया है, जिसमें वे ना केवल अपना अनुभव साझा कर रही हैं बल्कि बच्चों के साथ हुई एक्टिविटी के महत्वों पर भी चर्चा कर रही हैं, जो उनके व्यक्तित्व निर्माण की एक अहम कड़ी साबित होगा। वे लिखती हैं-


आज मैं आप सबके साथ अपने क्लासरुम का अनुभव शेयर करने जा रही हूं। बाहर के कुछ कामों के कारण आज मैं 15 मिनट की देरी से स्कूल पहुंची लेकिन तब भी मुझे क्लास खाली ही लगी। हालांकि मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ कि बच्चों को आने में देरी कैसे हुई क्योंकि एक तो मैं देर थी इसलिए मुझे लगा था कि मुझे सारे बच्चे क्लास में ही मिलेंगे। बच्चे क्लास में मौजूद तो थे लेकिन उनकी संख्या थोड़ी कम लग रही थी।


मैंने क्लास में उपस्थित बच्चों को गुड मार्निंग विश किया और उन्होंने भी बड़े प्यार से मेरा अभिवादन किया। इसके बाद मैंने हेडमास्टर सर से कम उपस्थिति के बारे में जानकारी लेने का प्रयास किया। जिसमें मुझे पता चला कि आज कक्षा छठी से लेकर आठवीं तक के बच्चों की परीक्षा है इसलिए बच्चों के बैठने की स्थिति में थोड़ा अंतर किया गया है। उन्होंने मुझे बताया कि पांचवीं कक्षा के बच्चे दूसरी कक्षा में बैठे हैं इसलिए मैं दूसरी कक्षा में चली गई।


वहां मैंने कक्षा में मौजूद बच्चों को मेडिटेशन कराया फिर चहक किताब से कक्षा की शुरुआत की गई। सभी बच्चों ने जोड़ों में बैठ कर और LFW की किताब से एक्टिविटी को किया। इसके बाद हेडमास्टर सर ने कक्षा में आकर वार्षिक परीक्षा की रूटिंग को ब्लैकबोर्ड पर लिखवाया, जिसे बच्चों ने अपनी कॉपी में नोट कर लिया। इसके बाद सभी बच्चों ने बातचीत हुई कि उन्होंने होली के त्योहार को कैसे मनाया इत्यादि क्योंकि मेरा मानना है कि जब तक आप बच्चों से पूरी तरह नहीं जुड़ेगे, तब तक बच्चे भी आपसे पूरी तरह नहीं जुड़ पाएंगे इसलिए छोटी-छोटी पहल और एक्चिविटी करते रहना चाहिेए। 


इसके बाद बच्चों से परीक्षा को लेकर बातचीत हुई कि उनका पाठ पूरा है या नहीं है, किस विषय में दिक्कत आ रही है, सिलेबस पूरा है या नहीं है इत्यादि। साथ ही बाकी बच्चों को भी सूचित करने के लिए कहा गया जो बच्चे कक्षा में अनुपस्थित थे ताकि उनकी परीक्षा ना छूटे। 


कुल मिलाकर काफी अच्छा अनुभव रहा। चहक और LFW के जरिए बच्चों में बेहतर समझ नहीं और बच्चों से एक स्तर और जुड़ने का मौका मिला। 


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