आज के पीटीएम में अभिभावकों की उपस्कथिति कम थी और छठ पूजा की वजह से बच्चे भी कम आ रहे थे। हालांकि कम अभिभावकों में भी पीटीएम का अनुभव अच्छा रहा। सभी अभिभावक गतिविधि में भाग ले रहे थे। साथ ही उन्हें लोकगीत गाने का भी मौका मिला।
इसके बाद गणित में ठोस, चित्र और संकेत के माध्यम से बच्चों को कैसे पढ़ा सकते हैं, इस पर उनकी समझ बन पाई। इस गतिविधि को करके भी अभिभावक काफी खुश हुए कि उन्हें नए तरीके सीखने के मौके मिले।
हालांकि पीटीएम और भी अच्छा हो सकता था। जैसे अभिभावक समय से आते और अधिकांश अभिभावक मौजूद रहते। मुझे एक चीज जो सबसे अच्छी लगी, वो थी कि मैंने आज उन्हें कुछ नई चीज सीखा सकी। साथ ही उन्होंने भी खुद के अंदर आत्मविश्वास जगाया और लोकगीत गाकर माहौल को हल्का किया। लोकगीत के जरिए हमने समझ बनाई कि अपनी संस्कृति से जुड़ाव होना अत्यंत आवश्यक है और साथ ही इसे जीवित रखना भी हमारा कर्तव्य है।
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