Friday, March 17, 2023

स्मृतिः सुझावों को सकारात्मकता से स्वीकारना आपके व्यक्तित्व को निखारता है

फोटो क्रेडिट- आई सक्षम

स्मृति कुमारी ने अपनी कक्षा का अनुभव साझा किया है, जिसमें उन्होंने महसूस किया है कि बच्चों को सही दिशा दी जाए तो वे जरुर अच्छा करते हैं। इतना ही नहीं स्मृति का अनुभव पढ़ कर आप जानेंगे कि सुझावों को किस प्रकार सकारात्मकता से लिया जा सकता है क्योंकि कई बार लोगों को सुझाव लेना पसंद नहीं आता मगर सुझावों को सहर्ष स्वीकारना स्मृति बता रही हैं, क्योंकि उनका मानना है कि सुझाव आपको बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। वे लिखती हैं-


मैं स्मृति कुमारी बैच-9 मुंगेर की एडु-लीडर हूं। मैं आज आप सबके साथ आज के सेशन का अनुभव साझा करने जा रहीं हूं। आज साक्षी दी मेरे स्कूल में आई हुई थीं इसलिए मेरा अनुभव एक ओर जहां उत्साह से भरा है, वहीं दूसरी ओर मुझे और बेहतर करने की प्रेरणा भी दे रहा है।


नियमानुसार मैंने सबसे पहले बच्चों को मेडिटेशन करवाया फिर कल जो हमने पढ़ा था, उसकी पुनरावृत्ति की फिर उसके बाद आज के पाठ्य की चर्चा की। मैंने आज बच्चों को गणित पढ़ाया और गणित में पहले बढ़ते क्रम और घटते क्रम को बच्चों को सिखाया। साथ ही गणित की बेहतर समझ बनाने के लिए हम सबने एक एक्टिविटी भी किया। 


इसके बाद मैंने बच्चों से विषय से जुड़े सवाल करने को कहा, जिसमें बच्चों ने प्रश्न पूछे और अपनी समझ को बेहतर किया। उसके बाद साक्षी दी ने पूछा, “क्या मैं बच्चों को किताब पढ़ाऊं?” फिर उन्होंने बच्चों को किताब पढ़ाया और जब दी ने किताब पढ़ाने से पहले यह पूछा, बच्चों, कुछ पन्नों को पढ़कर मैं शुरुआत करूंगी लेकिन मेरे बाद सबको बारी-बारी से पढ़ना होगा।" इतना सुनते ही बच्चों का उत्साह दोगुना हो गया।


सभी बच्चे हाथ ऊपर करके अपनी बारी का इंतजार करने लगे। इसके बाद साक्षी दी ने बच्चों को पढ़ाया। साथ ही वे बच्चों की उत्सुकता और उनके सवालों के जवाब भी देती रही। बच्चों के बीच काफी उत्साह था और सीखने की जिज्ञासा भी झलक रही थी, जो उनके बेहतर कल के लिए वरदान साबित हो सकती है।

  

सुझावों का दिल से स्वागत 


कक्षा के अंत में साक्षी दी ने मुझे कुछ सुझाव भी दिए, जैसे- मैं अपनी कक्षा को और बेहतर कैसे बना सकती हूं, इत्यादि। मुझे दी द्वारा जो फिडबैक मिला है, मैं उस पर जरुर काम करूंगी और अपनी कक्षा को और बेहतर करूंगी। 


आज मैं लंच टाइम तक स्कूल में ही रूकी थी, तो एक चीज जो मुझे बहुत ही अच्छी लगी वो थी कि बच्चे एक दूसरे की मदद कर रहे थे। वे एक-दूसरे को TLM द्वारा समझा रहे थे। साथ ही बच्चे लाइब्रेरी का भी प्रयोग कर रहे थे और किताबों को उनकी जगह पर रख रहे थे। मुझे ये सब अपनी कक्षा में देख कर बहुत अच्छा लगा और प्रेरणा भी मिली कि अगर सकारात्मक भाव से पहल की जाए, तो अनुशासन द्वारा बहुत कुछ बदला जा सकता है। 


साथ ही मैंने अनुभव किया कि बच्चों के अंदर असीमित ऊर्जा है, क्योंकि जिस प्रकार वे हाथ को खड़ा करके पढञने की ललक दिखा रहे थे, उससे एक बात साफ है कि उन्हें अगर सही मार्गदर्शन दिया जाए, तो वे जरुर अच्छा प्रदर्शन करेंगे। मेरी पूरी कोशिश होगी कि मैं अपनी ओर से कोई कमी ना रहने दूं।


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