हेलो दोस्तों, आज मैं आपके सामने छोटी सी कहानी साझा करना चाहती हूं। आज मुझे पता चला कि अगर दृढ़ विश्वास हो, तो असंभव को भी संभव किया जा सकता है।
मेरी मुलाकात एक 15 साल के बच्चे से हुई है, जो पूर्ण रूप से दिव्यांग है। एक बार फील्ड विजिट के द्वारा उससे मुलाकात करने का मौका मिला। उसकी मम्मी ने मुझे बताया कि दीदी हम बहुत गरीब हैं। मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं कि एक व्हीलचेयर खरीद सकूं।
साथ ही अभी तक सरकारी योजना का लाभ तक नहीं मिला है। अगर आप कुछ कर पाए तो मेरी बहुत मदद हो जायेगी।
और शुरू हुआ कुर्सी का संघर्ष
यह सब देखने के बाद मैंने सोचा कि कम से कम मैं इस बच्चे को कुर्सी तो दिला कर ही रहूंगी। मैं हर जगह गई, जहां से मुझे कुर्सी मिल सकती थी या कोई संभावना बन जाती मगर ऐसा कुछ नहीं हो सका।
इसके बाद मैंने आदित्य सर से बात की। हर लोगों से मदद मांगी मगर अंततः सर के बताए हुए मार्ग पर चल कर हमारे i-saksham के एक साथी मनोज जी की मदद से आज साथ महीनों बाद कुर्सी मिल ही गई। कुर्सी मिलने के बाद बच्चे की खुशी देखते ही बन रही थी।
उस दिन मुझे एहसास हुआ कि अपने प्रयास को सही दिशा में करना चाहिए। साथ ही हर किसी को एक दूसरे की मदद करनी चाहिए और जितना हो सके लोगों को जागरूक करना चाहिए। साथ ही मुझे भी बहुत सुकून मिला कि मैंने अपने तरफ से प्रयास किया और उसका फल भी मिला।
No comments:
Post a Comment