फोटो क्रेडिट- आई सक्षम |
बच्चों को अगर कलात्मक तरीके से समझाया जाए, तो बच्चे आसानी से सीख पाते हैं। इसी बिंदू को फोकस करते हुए हमारी एडुलीडर आंचल ने बच्चों को शिक्षित करने का प्रयास किया है। इसके अलावा जब कोई चीज दिनचर्या या रुटीन के अनुसार चले, तब बच्चों के अंदर अनुशासन के बीज का उतपन्न होता है, जो उन्हें अपने जीवन के निर्णयों को लेने की क्षमता को विकसित करता है। आंचल अपने अनुभव को साझा करते हुए लिखती हैं-
मैं आंचल बैच 9 (मुंगेर) की एडुलीडर हूं। मैं आप लोगों के साथ आज के क्लास रूम का अनुभव साझा करने जा रही हूं। हम रोज मेडिटेशन के समय क्लास का रूल्स बच्चों को बताते थे, तो बच्चे शांत भी रहते थे। हम रोज बच्चे को मेडिटेशन करवाने के लिए देते तो शायद झगड़ा हो जाएगा, यह सोच कर मैंने खुद ही बच्चों के बीच मेडिटेशन का रुटीन बांट दिया। इससे अब बच्चों के बीच झगड़ा भी नहीं होता है। उस दिन भी सारे बच्चे रुटिन के अनुसार ही मेडिटेशन करा रहे थे।
पाठ याद कराने का अनोखा तरीकाक्लास में बहुत शांति भी थी फिर हमने बातचीत किया। उसके बाद पिछले दिन का रिविजन करवाते हुए आज के थीम से बच्चों को जोड़ा। सभी बच्चे होमवर्क करके लाए थे। उन्हें देखकर अच्छा लगा कि हिंदी इंग्लिश में जो कविता मैंने याद करवायी थी, उसे बच्चों ने अच्छे से याद किया था। सभी बच्चों को अच्छे से पाठ याद हो गया और उन्हें कविता का हिंदी अर्थ भी अच्छे से समझ पाए।
बच्चे अक्षरों को अच्छे से समझ पाए और अल्फाबेट सीख पाए। उसकी आवाज जान पाए। अगले दिन मैं मैथ विषय पढ़ाऊंगी ताकि बच्चे अच्छे से समझ पाए और मेरा थीम भी पूरा हो। आज मैं इतना ही अनुभव साझा कर पाई।
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